धर्म-अध्यात्म

भगवान कृष्ण को मिली उपहार में ये चीजें, मिलती है सीख

Shiddhant Shriwas
28 Aug 2021 2:38 AM GMT
भगवान कृष्ण को मिली उपहार में ये चीजें, मिलती है सीख
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30 अगस्त को पूरे देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का पर्व हर वर्ष भादौं माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 30 अगस्त को पूरे देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का पर्व हर वर्ष भादौं माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। मथुरा और द्वारिका जैसे पौराणिक नगरों में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाई जाती है। महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश देते हुए जीवन प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया था। ऐसे में भगवान कृष्ण का सारा जीवन प्रबंधन के लिहाज से आदर्श रहा। आज हम आपको भगवान कृष्ण के द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान के अलावा उनके जीवन और व्यक्तित्व से जुड़ी तमाम चीजों के बारे बताने जा रहे हैं जो उनके जीवन का प्रमुख हिस्सा रही है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अपने शरीर पर धारण की गई कई चीजें जो उन्हें उपहार स्वरूप मिली है जिसे हमे यह शिक्षा मिलती है कि कैसे दूसरों की अच्छी आदतों को अपने जीवन में उतारना और सीख लेनी चाहिए।

बांसुरी

भगवान कृष्ण के होठों पर हमेशा शुशोभित रहने वाली बांसुरी उपहार में नंद बाबा से मिली हुई है। बचपन से मिली ये बांसुरी भगवान कृष्ण हमेशा अपने साथ रखा। बासुरी में कई सुराख बने हुए होते हैं लेकिन जब इसे बजाया जाता है तो इसी मीठी ध्वनि से सभी का मन प्रसन्न हो उठता है। बांसुरी से हमें यह सीख मिलती है कि सदैव अपने व्यवहार में अंहकार, क्रोध और लालच को दूर रखना चाहिए व हर समय मीठी वाणी ही बोलनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण हर पल बांसुरी को अपने साथ रखते थे। प्रेम और शांति का संदेश देने वाली बांस की बांसुरी उनकी शक्ति थी।

मोरपंख और वैजयंती माला

राधा ने भगवान कृष्ण को वैजयंती माला और मोरपंख उपहार में दिया था। राधा से मिली ये इन दो चीजों को भगवान कृष्ण सदैव अपने पास ही रखते हैं। वैजयंती माला को गले में धारण किया है जबकि मोरपंख को अपने माथे पर। वैजयंती का मतलब होता है विजय और इसको धारण करते हुए भगवान कृष्ण यह संदेश देते हैं सफलता प्राप्त करने के लिए मन और दिमाग को हमेशा सकारात्मक रखें। वहीं मोरपंख हमें प्रकृति के पास बने रहने और जीव-जंतुओं का सम्मान करना सीखता है।

शंख और धनुष

अपने गुरु संदीपनि की शंखासुर नाम के राक्षस से रक्षा करने पर भगवान कृष्ण को धनुष और शंख उपहार में प्राप्त किया था। युद्ध में परास्त होने पर दैत्य शंखासुर ने उन्हे शंख दिया जबकि गुरु संदीपनि ने अजितंजय धनुष भेंट किया था। धनुष शक्ति और पौरूष का प्रतीक माना गया है।

सुदर्शन चक्र

भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र परशुराम भगवान ने दिया था। सुरर्शन चक्र धारण करते हुए भगवान कृष्ण ने अनेकों दैत्यों का वध करके बुराईओं को नाश करते हुए सच्चाई के मार्ग पर करने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे में कृष्णा जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा में उनके पास बांसुरी, मोरपंख, वैजयंती माला जरूर रखनी चाहिए। ये सभी चीजें भगवान श्रीकृष्ण को विशेष प्रिय मानी गई हैं।

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