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जनता से रिश्ता | ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का बहुत महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों को धारण करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। इस शास्त्र के अनुसार हर ग्रह किसी न किसी रत्न का प्रतिनिधित्व करता है। इन्हीं रत्नों में से एक है पुखराज। बृहस्पति ग्रह पुखराज रत्न का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने के कारण इस रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं पुखराज धारण करने के नियम और उसके उपरत्नों के बारे में विस्तार से।
क्या होता है पुखराज रत्न?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार पुखराज रत्न में एल्युमिनियम, हाइड्रॉक्सिल और फ्लोरीन जैसे तत्व पाए जाते हैं। यह पत्थर सफेद और पीले दोनों रंगों में पाया जाता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में सफेद पुखराज को ही सर्वोत्तम माना गया है। पुखराज रत्न की एक और प्रजाति पाई जाती है, जो कठोरता में असली पुखराज से कम, रूखा, खुरदुरा और चमक में सामान्य होता है।
पुखराज के उपरत्न
बता दें कि सुनैला, केरु, घीया, सोनल और केसरी, ये सभी पुखराज के उपरत्न माने जाते हैं। अगर आप महंगे होने की वजह से असली पुखराज धारण नहीं कर सकते तो आपको इन उपरत्नों को पहनने की सलाह दी जाती है। हालांकि, ये उपरत्न पुखराज की तरह लाभ तो नहीं दे सकते लेकिन ये आंशिक रूप बहुत कुछ प्रभाव रखते हैं।