- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Shyam Baba की उत्पत्ति...
धर्म-अध्यात्म
Shyam Baba की उत्पत्ति से खाटू धाम की स्थापना तक का सफर
Tara Tandi
6 July 2025 1:12 PM GMT

x
Shyam Baba ज्योतिष न्यूज़: महाभारत के एक प्रमुख पात्र बर्बरीक को आज संसार में भगवान माना जाता है। खाटू वाले श्याम बाबा यानि महाभारत के वीर बर्बरीक अपनी वीरता और वचन पालन के कारण भक्तों और आस्थावानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। राजस्थान के सीकर जिले में बाबा खाटू वाले श्याम का भव्य दरबार है, जहां प्रसिद्ध फाल्गुन महोत्सव शुरू हो चुका है। शीशदानी वीर बर्बरीक को भक्त श्री कृष्ण के नाम से पूजते हैं और उन्हें बराबर सम्मान देते हैं। वैसे तो बाबा के भक्त साल भर सीकर (राजस्थान) के खाटू गांव में आते हैं, लेकिन फाल्गुन माह में यहां पहुंचना उनके लिए खास होता है। इसी माह की द्वादशी तिथि को वीर बर्बरीक ने श्री कृष्ण को अपना शीश दान कर दिया था और उन्हें 'हारे का सहारा' की उपाधि मिली थी।
श्री कृष्ण ने क्यों कराया था अपना शीश दान?
आपको बता दें कि महाभारत युद्ध से पहले श्री कृष्ण ने ब्राह्मण के वेश में वीर बर्बरीक से मुलाकात की थी और उन्होंने इस महान योद्धा की वीरता और उदारता की परीक्षा भी ली थी। बर्बरीक ने अपने तीन बाणों के जादू से कृष्ण को परास्त कर दिया था और जब श्री कृष्ण ने उससे पूछा कि वह किस ओर से युद्ध करेगा तो बर्बरीक ने कहा कि अपनी मां को दिए वचन के अनुसार मैं हारने वाले का साथ दूंगा। वीर बर्बरीक के इस वचन के बाद ही श्री कृष्ण ने उसके शीश दान का नाटक रचा।
बर्बरीक अपना शीश दान करने के लिए सहर्ष तैयार हो गया, लेकिन उसे इस बात का दुख था कि वह अपने पिता, दादा और अन्य पूर्वजों के किसी काम नहीं आ सका। उसने श्री कृष्ण से अपने उद्धार का उपाय पूछा और यह भी बताया कि वह भी इस युद्ध में भाग लेना चाहता था और इसे देखना चाहता था।बर्बरीक ने विनम्र स्वर में कृष्ण से कहा, मैं भी इस युद्ध में भाग लेना चाहता था, लेकिन मुझे दुख है कि शीश दान के कारण मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा, मृत्यु के बाद अपने पूर्वजों को अपना मुख कैसे दिखाऊंगा?
कृष्ण ने शीश दान का कारण बताया
श्री कृष्ण ने कहा, दुखी मत हो बर्बरीक। यदि तुमने अपना शीश दान नहीं किया होता तो तुम अपने पूर्वजों के किसी काम नहीं आ पाते। इसका कारण तुम्हारा वचन है। आरम्भ में तुम पाण्डव सेना से युद्ध करोगे, किन्तु अपनी प्रतिज्ञा के कारण जब तुम पाण्डवों को हारता हुआ देखोगे तो कौरव पक्ष में जा मिलोगे। इससे पाण्डव सेना पुनः हारने लगेगी। यह देखकर तुम पुनः यहां आओगे। यह क्रम चलता रहेगा और युद्ध में कोई निर्णय न होने के कारण धर्म की स्थापना का कार्य सम्पन्न नहीं हो सकेगा। इसीलिए मुझे ऐसा करना पड़ा।
...और इस प्रकार बाबा खाटू श्याम की उत्पत्ति हुई
श्रीकृष्ण ने शीश-पेटी ली, उसे अमृत से सींचा और अमर जड़ी-बूटियों पर स्थापित करके कुरुक्षेत्र के पास सबसे ऊंची पहाड़ी पर रख दिया। वहां से वीर बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा और अंत में जब पाण्डवों को विजय का अहंकार हो गया तो बर्बरीक ने निष्पक्ष और न्यायप्रिय होकर उनका अहंकार तोड़ा। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को बर्बरीक द्वारा शीश दान करने के कारण इस समय बाबा श्याम के भक्तों का एक समूह सीकर के पास खाटू गांव पहुंचता है और बाबा के दरबार में माथा टेकता है।
इस प्रकार बाबा का मंदिर बना
बाबा पहले से ही पूजनीय थे। किवदंती है कि सदियों पहले एक गाय मंदिर स्थल पर आकर खड़ी हो जाती थी और उसके स्तनों से दूध बहने लगता था। यह देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। एक दिन जब इस स्थान पर खुदाई की गई तो बाबा का सिर जमीन से निकला। उसी रात खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मंदिर बनवाने की प्रेरणा मिली। इसके बाद उस स्थान पर मंदिर बनवाया गया और कार्तिक एकादशी को सिर को मंदिर में स्थापित किया गया। यह वीर बर्बरीक की जन्म तिथि थी। तब से ही भक्त बाबा के इस दरबार में पहुंचते रहे हैं।
कहा जाता है कि बाबा अपना रूप बदलते हैं
मूल मंदिर का निर्माण 1027 ई. में रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। इसी समय मंदिर ने अपना वर्तमान आकार लिया और गर्भगृह में मूर्ति स्थापित की गई। मूर्ति दुर्लभ पत्थर से बनी है। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में जाता है उसे हर दिन बाबा का एक नया रूप देखने को मिलता है। कई लोगों को तो उनके आकार में भी बदलाव देखने को मिलता है।
बाबा के धड़ की पूजा के लिए अलग स्थान
जिस स्थान पर वीर बर्बरीक खाटू के रूप में प्रकट हुए थे, आज सीकर में खाटू धाम मंदिर बना हुआ है। इसके अलावा जिस स्थान पर उन्होंने अपना शीश दान किया था और श्री कृष्ण के विशाल रूप के दर्शन किए थे, आज वहां चुलकाना धाम स्थित है। हरियाणा राज्य के पानीपत के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चुलकाना धाम प्रसिद्ध है। श्री श्याम खाटू वाले का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर चुलकाना गांव में है। गांव में मंदिर की स्थापना होते ही खाटू के राजा चुलकाना के भी राजा बन गए। चुलकाना धाम को कलयुग का सबसे अच्छा तीर्थ माना जाता है। इसके अलावा बाबा के धड़ का मंदिर भी बना हुआ है और उसकी पूजा भी की जाती है। हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव स्याहरवा में बाबा के धड़ की पूजा की जाती है।
TagsShyam Baba उत्पत्तिखाटू धामस्थापना सफरShyam Baba OriginKhatu DhamEstablishment Journeyजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताजनता से रिश्ता.कॉमआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार

Tara Tandi
Next Story