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धर्म-अध्यात्म
Surya Dev: रविवार के दिन करें सूर्य उपासना का महत्व और पूजा विधि
Tara Tandi
19 Jan 2025 7:03 AM GMT
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Surya Dev ज्योतिष न्यूज़ : उत्तम स्वास्थ्य ही सृष्टि का सर्वोत्तम सुख है। शास्त्रों में इसके आधिकारिक देव भगवान सूर्य कहे गए हैं। प्राणियों का शरीर जिस अस्थि के ढांचे पर टिका हुआ है उसके कारक भी सूर्यदेव ही हैं। दीर्घकालिक स्वास्थ्य जीवन अश्विनी कुमारों की उपासना-कृपा के आधीन है। इस संसार के जितने भी स्थावर (छोटे-बड़े पेड़-पौधे, लता, नाना प्रकार की औषधियां आदि) और जंगम ( मानव, पशु-पक्षी सरीसृप आदि) हैं, सूर्यदेव उनके आत्मा (प्राण) हैं। माँ आदि शक्ति को सूर्योपासना की उपयोगिता बतलाते हुए भगवान शिव कहते हैं कि- हे शिवे ! भास्कर इस जगत के साक्षीभूत देव हैं ये सृष्टि के शुभ-अशुभ कार्यों के दृष्टा हैं इसलिए, ब्रह्मा, विष्णु, स्वयं मैं, शक्ति सभी देव ऋषि-मुनि, सिद्ध योगी, यक्ष, गन्धर्व आदि सभी देव सूर्य का ही ध्यान करते हैं।
सृष्टि सृजन और सभी जीवों की उत्पत्ति में इनका प्रमुख योगदान है। पौष माह में सूर्य धनु राशि पर गोचर करते हैं जिसके परिणामस्वरूप इनकी शक्ति कुछ क्षीण और रश्मियां कमज़ोर पड़ जाती हैं। इस राशि के स्वामी गुरु का तेज भी प्रभावहीन रहता है जिसके कारण उनके स्वभाव में उग्रता आ जाती है। ज्योतिष ग्रन्थों में इस माह को 'खरमास' कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आदिकाल में इनके पास सभी राशियों का आधिपत्य था किन्तु कालांतर में इन्होंने सिंह राशि अपने पास रखा और कर्क राशि का आधिपत्य चंद्रमा को दे दिया। बाकी बची दस राशियों में से पाँच ग्रहों मंगल, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि को दो-दो राशियों का अधिपति नियुक्त किया। ये सभी ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों, संवत्सरों, योगों, करणों और मुहूर्तों के अधिपति हैं। पौष माह में इनके यात्रा के समय सेवा में उनके रथ के साथ अंशु और भग नाम के दो आदित्य, कश्यप और क्रतु नाम के दो ऋषि, महापद्म और कर्कोटक नाम के दो नाग, चित्रांगद तथा अरणायु नामक दो गन्धर्व सहा तथा सहस्या नाम की दो अप्सराएं, तार्क्ष्य एवं अरिष्टनेमि नामक दो यक्ष, आप तथा वात नामक दो महाबलशाली दैत्य चलते हैं।
प्रातःकालीन सूर्योपासना
इनका पूजन-आराधना भी महादेव के पूजा की तरह सरल है। प्रातः नमस्कार और स्नान के बाद अर्घ्य देने से ये भक्तों पर पूर्ण प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उत्तम स्वास्थ्य, शिक्षा, संतान और यश की प्राप्ति, सामाजिक पद-प्रतिष्ठा, प्रतियोगिता में सफलता, व्यापार में कामयाबी और राज्यपद की लालसा रखने वाले, बेरोजगार नवयुवकों, अधिकारिओं से प्रताडित लोगों को प्रातः उदयकालीन लाल सूर्य की उपासना करनी चाहिए।
मध्यान कालीन सूर्योपासना
बार-बार चोट लगती हो, शरीर में कैल्शियम की कमी हो, दुर्घटना के शिकार अधिक होते हों, अपयश का भय सता रहा हो, अपनी हत्या का भय हो तो ऐसे लोग यदि दोपहर 'अभिजीत' मुहूर्त में भी सूर्य की आराधना-अर्घ्य आदि दें तो उन्हें जीवन पर्यंत इसका भय नहीं रहेगा।
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