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ढेरों खुशियां होंगी मुट्ठी में
Smile please: सचमुच हम मनुष्य कितने भाग्यशाली हैं जो हमें विचार रूपी ऐसे अदृश्य पंख मिले हैं जिनसे हम जहां चाहें, जब भी चाहें चुटकी भर में पहुंच सकते हैं। तभी तो आज विचारों को बड़ा महत्व दिया जाता है क्योंकि जैसे हमारे विचार होते हैं, वैसा हमारा आचार रहता है। विश्व भर के चिकित्सा शोधकर्त्ताओं के अनुसार मनुष्य लाख प्रयास क्यों न कर ले परंतु उसकी विचार प्रक्रिया कभी रुकती नहीं। हमारे विचार एक बीज की तरह होते हैं, जो या तो सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं। तत्पश्चात हमारे मूड, व्यवहार और चरित्र के आधार पर वे हमारी भावनाएं और दृष्टिकोण बनाते हैं और इन सभी के संयोजन को चेतना कहा जाता है।
हमारे विचारों से हमारी चेतना बनती है। यदि हम अपने विचारों का कुशल प्रबंधन करना सीख लें तो हम सर्वोच्च मानव चेतना को प्राप्त कर सकते हैं, परंतु उससे पहले हमें यह जांच करनी होगी कि क्या हम कभी अपने विचारों का निरीक्षण करना बंद कर देते हैं या हम कभी अपने विचारों पर पूर्ण विराम लगाने की योजना बनाते हैं ?
यद हां, या फिर न। अनुभव से देखा गया है कि हममें से अधिकांश लोग अपने विचारों को मन के हर कोने में भटकने और यहां-वहां बिखरने के लिए खुला छोड़ देते हैं जिसके परिणामस्वरूप हमें अनेक प्रकार की तकलीफें व यातनाएं सहनी पड़ती हैं इसीलिए याद रखें कि अनियंत्रित और बिखरे हुए विचार तेज गाड़ी की तरह होते हैं जिन पर यदि ब्रेक नहीं लगाई जाए तो प्राणघातक दुर्घटना हो सकती है।
डाक्टरों के अनुसार ज्यादा सोचना बहुत ज्यादा खाने के समान है। इससे हमारा मन भारी हो जाता है और हम खुद को हल्का महसूस कर पाने में असमर्थ हो जाते हैं। अत: हमारे मन के भीतर वापस शांति लाने के लिए
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