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धर्म-अध्यात्म
Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत के दिन इस विधि से करें रुद्राभिषेक, पूरी होगी हर मनोकामना
Renuka Sahu
25 Dec 2024 5:19 AM GMT
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Shani Pradosh Vrat 2024: पंचांग के अनुसार, इस साल पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 दिसंबर को तड़के रात 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और 29 दिसंबर को तड़के 3 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, यह शनि प्रदोष व्रत 28 दिसंबर, शनिवार के दिन रखा जाएगा. भगवान शिव की पूजा करने के लिए 28 दिसंबर पूजा का समय शाम 5 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव की आराधना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है प्रदोष काल सूर्यास्त के समय से शुरू होता है और लगभग डेढ़ घंटे तक चलता है. शनि प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है. इसके अलावा शनि प्रदोष व्रत विधि-विधान से करने पर लोगों की मनचाही इच्छा पूरी होती है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है|
रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री
गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, फूल, दीप, धूप, नैवेद्य, शिवलिंग, आदि|
रुद्राभिषेक की विधि-
शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके शिवलिंग स्थापित करें.
स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और दीपक जलाएं और धूप दें.
शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें. फिर दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत आदि से अभिषेक करें|
शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन और फूल चढ़ाएं.
शिव मंत्र का जाप करें और शिव की आरती करें.
भगवान शिव को भोग लगाएं और शिवलिंग की परिक्रमा करें.
शनि देव को समर्पित मंत्र: ॐ नमः शनये का जाप करें.
इस मंत्र का जाप करते हुए शनि देव को प्रणाम करें.
रुद्राभिषेक करने का सबसे शुभ समय प्रदोष काल होता है.
प्रदोष काल सूर्यास्त के समय से शुरू होता है और लगभग डेढ़ घंटे तक चलता है|
शनि प्रदोष व्रत का महत्व-
शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है, तो उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. शनि प्रदोष व्रत करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में सुख-शांति आती है. शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि प्रदोष व्रत का दिन बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन की गई पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. हिंदू धर्म में कर्मफल का सिद्धांत महत्वपूर्ण है. शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने से व्यक्ति अपने पिछले जन्मों के बुरे कर्मों का प्रायश्चित कर सकता है और वर्तमान जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकता है|
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Renuka Sahu
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