धर्म-अध्यात्म

होलिका दहन पर भरभोलिए से उतारें भाई की नज़र

Apurva Srivastav
24 March 2021 1:41 PM GMT
होलिका दहन पर भरभोलिए से उतारें भाई की नज़र
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होली के उत्सव का पहला काम होली का डंडा या डांडा चौराहे पर गाड़ना होता है।

हर तरह के संकटों से बचने के लिए होली का दिन महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन विषेष पूजा, अनुष्ठान या कोई अचूक उपाय किए जाए तो सभी तरह के संकटों से बचकर धन, संपदा और सुख शांति प्राप्त की जा सकती है। इस दिन भाइयों की नजर उतारने का कार्य भी किया जाता है। आओ यहां जानते हैं भरभोलिए से कैसे उतारते हैं नज़र।

होली के उत्सव का पहला काम होली का डंडा या डांडा चौराहे पर गाड़ना होता है। होली का डंडा एक प्रकार का पौधा होता है, जिसे सेम का पौधा कहते हैं। दो डांडा स्थापित किए जाते हैं। जिनमें से एक डांडा होलिका का प्रतीक तो दूसरा डांडा प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद इन डंडों को गंगाजल से शुद्ध करके के बाद इन डांडों के इर्द-गिर्द गोबर के उपले, लकड़ियां, घास और जलाने वाली अन्य चीजें इकट्ठा की जाती है और इन्हें धीरे-धीरे बड़ा किया जाता है और अंत में होलिका दहन वाले दिन इसे जला दिया जाता है। इस डांडे के आसपास लकड़ी और कंडे जमाकर रंगोली बनाई जाती और फिर विधिवत रूप से होली की पूजा की जाती है। कंडे में विशेष प्रकार के छेद होते हैं जिन्हें भरभोलिए कहते हैं।
होलिका दहन के दिन भरभोलिए से उतारें भाई की नज़र
होली के दो डांडे के साथ ही भरभोलिए रखे जाते हैं। भरभोलिए गाय के गोबर से बने ऐसे उपले होते हैं जिनके बीच में छेद होता है। इस छेद में मूंज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं। होली में आग लगाने से पहले इस माला को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमा कर फेंक दिया जाता है। रात को होलिका दहन के समय यह माला होलिका के साथ जला दी जाती है। इसका यह आशय है कि होली के साथ भाइयों पर लगी बुरी नज़र भी जल जाए।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के पहले होली के डांडा को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह लकड़ी का डांडा लगाया जाता है। फिर विधिवत रूप से होली की पूजा की जाती है और अंत में उसे जला दिया जाता है। होलिका में भरभोलिए जलाने की भी परंपरा है।


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