धर्म-अध्यात्म

Brihaspati Dev: देव गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए करें चालीसा का पाठ

Kavita2
27 Jun 2024 6:35 AM GMT
Brihaspati Dev: देव गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए करें  चालीसा का पाठ
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Brihaspati Dev: देव गुरु बृहस्पति की पूजा हिंदू धर्म में बहुत पुण्यदायी मानी गई है। उन्हें, ज्ञान, मोक्ष और संतान का कारक ग्रह माना जाता है। गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा करने से जीवन की सभी मुश्किलों का अंत होता है। इसके साथ ही कभी न समाप्त होने वाले ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए गुरुवार के उपवास के साथ केले के वृक्ष की पूजा विधि अनुसार करें। फिर ''बृहस्पति चालीसा''
Brihaspati Chalisa
का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा को पूर्ण करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। फिर गरीबों को भोजन खिलाएं। ऐसा करने से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही उनकी कृपा प्राप्त होगी।
फिर ''बृहस्पति चालीसा'' देव गुरु बृहस्पति की पूजा हिंदू धर्म में बहुत पुण्यदायी मानी गई है। उन्हें, ज्ञान, मोक्ष और संतान का कारक ग्रह माना जाता है। गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा करने से जीवन की सभी मुश्किलों का अंत होता है। इसके साथ ही कभी न समाप्त होने वाले ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए गुरुवार के उपवास के साथ केले के वृक्ष की पूजा विधि अनुसार करें। फिर ''बृहस्पति चालीसा''
(Brihaspati Chalisa)
का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा को पूर्ण करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। फिर गरीबों को भोजन खिलाएं। ऐसा करने से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही उनकी कृपा प्राप्त होगी।

फिर ''बृहस्पति चालीसा'' (Brihaspati Chalisa) का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा को पूर्ण करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। फिर गरीबों को भोजन खिलाएं। ऐसा करने से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही उनकी कृपा प्राप्त होगी।

।।श्री बृहस्पति देव चालीसा।।

''दोहा''

प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान।

श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन॥

अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान।

दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान॥

''चौपाई''

जय नारायण जय निखिलेशवर। विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥

यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता।भारत भू के प्रेम प्रेनता॥

जब जब हुई धरम की हानि। सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥

सच्चिदानंद गुरु के प्यारे। सिद्धाश्रम से आप पधारे॥

उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा। ओय करन धरम की रक्षा॥

अबकी बार आपकी बारी। त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥

मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा। मुल्तानचंद पिता कर नामा॥

शेषशायी सपने में आये। माता को दर्शन दिखलाए॥

रुपादेवि मातु अति धार्मिक। जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥


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