धर्म-अध्यात्म

जानिए अग्रपूजक किसे कहते है और इसे जीवन में कैसे धारण करे जिनसे घर में सुख शांति बानी रहे

Usha dhiwar
27 Jun 2024 4:55 AM GMT
जानिए अग्रपूजक किसे कहते है और इसे जीवन में कैसे धारण करे जिनसे घर में सुख  शांति बानी रहे
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अग्रपूजक:- Forerunner worshipper
एक बार देवताओं में धरती की परिक्रमा की प्रतियोगिता हुई जिसमें जो सबसे पहले परिक्रमा करके आ जाता उसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता। प्रतियोगिता प्रारंभ हुई परंतु गणेश जी का वाहन तो मूषक था तब उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और उन्होंने अपने माता पिता शिव एवं पार्वती की ही परिक्रमा कर ली। ऐसा करके उन्होंने संपूर्ण ब्रह्माण्ड की ही परिक्रमा कर ली। तब सभी देवों की सर्वसम्मति और ब्रह्माजी की अनुशंसा से उन्हें अग्रपूजक माना गया। इसके पीछे और भी कथाएं हैं। पंच देवोपासना में भगवान गणपति मुख्य हैं।
गणेशजी का स्वरूप Form of Ganeshji
जल तत्व के अधिपति, बुधवार और चतुर्थी के स्वामी और केतु एवं बुध के ग्रहाधिपति गणेश जी के प्रभु अस्त्र पाश और अंकुश है। वे मूषक वाहन पर सवार रहते हैं। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदक पात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं He has sharp ears and wears yellow clothes. वे रक्त चंदन धारण करते हैं।
भगवान गणेशजी का सतयुग में वाहन सिंह है और उनकी भुजाएं 10 हैं तथा नाम विनायक। श्री गणेशजी का त्रेतायुग में वाहन मयूर है In Treta Yuga, the vehicle of Lord Ganesha is peacock. इसीलिए उनको मयूरेश्वर कहा गया है। उनकी भुजाएं 6 हैं और रंग श्वेत। द्वापरयुग में उनका वाहन मूषक है और उनकी भुजाएं 4 हैं।
इस युग में वे गजानन नाम से प्रसिद्ध हैं और उनका वर्ण लाल है। His colour is red. कलियुग में उनका वाहन घोड़ा है और वर्ण धूम्रवर्ण है। इनकी 2 भुजाएं हैं और इस युग में उनका नाम धूम्रकेतु है।
गणेश जिन्हे गणपति , विनायक , लंबोदर और पिल्लैयार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू देवताओं में सबसे प्रसिद्ध The most famous of the Hindu gods और सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक है। और गणपति संप्रदाय में सर्वोच्च देवता है । उनके चित्रण पूरे भारत में पाए जाते हैं ।
हिंदू धर्मावलंबी उनकी पूजा करते हैं, चाहे वे किसी भी संप्रदाय से जुड़े हों, गणेश की भक्ति व्यापक रूप से फैली हुई है और जैन और बौद्ध और भारत से परे तक फैली हुई है।
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