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- एक खतरनाक अत्याचारी...
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | एक बार चीन के महान् दार्शनिक कन्फ्यूशियस, अपने कुछ शिष्यों के साथ ताई नामक पहाड़ी से कहीं जा रहे थे. एक स्थान पर वे अचानक रुक गए. और बोले कहीं से रोने की आवाज आ रही है. शिष्यों ने जिज्ञासु नेत्रों से उनकी ओर देखा. इसके बाद वे आवाज सुनते हुए आगे बढ़े तो देखा कि एक स्त्री रो रही है.
उन्होंने बड़ी सहानुभूति से रोने का कारण पूछा. स्त्री ने बताया कि इस स्थान पर उसके पुत्र को एक चीते ने मार डाला.कन्फ्यूशियस ने कहा, लेकिन तुम तो यहां अकेली दिख रही हो, तुम्हारे परिवार के अन्य लोग कहां हैं?
तब स्त्री ने बताया कि अब उसके परिवार में है ही कौन. इसी पहाड़ी पर उसके ससुर और पति को भी चीते ने फाड़ डाला था. कन्फ्यूशियस ने बड़े आश्चर्य से कहा, तो तुम इस भयंकर स्थान को छोड़ क्यों नहीं देतीं. स्त्री बोली, इस स्थान को इसलिए नहीं छोड़ती क्योंकि यहां पर किसी अत्याचारी का शासन नहीं है.
महात्मा कन्फ्यूशियस उसकी बात सुनकर हैरान थे. उन्होंने शिष्यों की ओर उन्मुख होकर कहा, निश्चित रूप से यह स्त्री करुणा और सहानुभूति की अधिकारिणी है, लेकिन इसकी बात ने हम लोगों को एक महान् सत्य प्रदान किया है. तब महात्मा कन्फ्यूशियस ने शिष्यों को बताया कि अत्याचारी शासक एक चीते से भी कहीं ज्यादा खतरनाक होता है.
अत्याचारी शासन में रहने से बेहतर है कि किसी वन में रह लिया जाए. लेकिन ये व्यवस्था सार्वजनिक नहीं हो सकती. इसलिए ऐसे समाज की जनता को चाहिए कि वो एकजुट होकर अत्याचारी शासन का समुचित विरोध करे और सत्ताधारी को अपना सुधार करने के लिए विवश करे.
अत्याचारी शासन को भय के कारण सहन करने वाला समाज किसी प्रकार की उन्नति नहीं कर पाता.विकासहीन जीवन बिताते हुए वो समाज युगों तक नारकीय यातना भोगा करता है. हमेशा अवनति के गर्त में ही पड़ा रहकरर जीवन व्यतीत करता है.