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सनातन धर्म में स्वस्तिक चिह्न का विशेष महत्व है। इसके अलावा बौद्ध और जैन धर्म में भी स्वस्तिक चिन्ह का बहुत ही विशेष महत्व है। स्वस्तिक चिन्ह बनाने से घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होते हैं। इसके साथ समृद्धि आती है। घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना विशेष रूप से शुभ होता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। इसका अर्थ है ‘सौभाग्य’। इसलिए शुभ अवसरों पर घर में स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है। हालांकि स्वास्तिक बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आकार और दिशा पर विशेष ध्यान दें। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ-
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक लगाने से वास्तु दोष दूर होते हैं। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं तो घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक की स्थापना करें। इसके लिए आप कुमकुम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही घर के मंदिर में हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। साथ ही स्वस्तिक के नीचे शुभ लाभ भी लिखें। घर में स्वस्तिक बनाने से घर में धन, ऐश्वर्य, सुख, यश की प्राप्ति होती है।
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि स्वस्तिक को उत्तर और पूर्व दिशा में बनाना हमेशा लाभकारी होता है। इसके लिए घर की उत्तर या पूर्व दिशा में स्वास्तिक बनाएं। इन दिशाओं में देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए स्वस्तिक को उत्तर और पूर्व दिशा में बनाना सबसे अच्छा माना जाता है। यह देवी-देवताओं को भी प्रसन्न करता है। स्वास्तिक का निशान हमेशा हल्दी या सिंदूर से बनाएं। घर के पूजा घर में केवल हल्दी से स्वास्तिक बनाएं।
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Apurva Srivastav
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