धर्म-अध्यात्म

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने से मिलते हैं ये फायदे,जानें शुभ मुहूर्त और विधि

Renuka Sahu
13 Feb 2025 1:58 AM GMT
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने से मिलते हैं ये फायदे,जानें शुभ मुहूर्त और विधि
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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन भगवान शिव ने गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन और उनका जलाभिषेक करना विशेष पुण्यदायी माना गया है.
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार
इस दिन भगवान शिव जलाभिषेक किया जाता है, तो भगावन शिव के आशीर्वाद से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. बाधाएं दूर हो जाती हैं. जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त क्या है. साथ ही इस दिन किस विधि से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है
इस साल कब है महाशिवरात्रि-
हिंदू पंचांग के अनसुार, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी. वहीं तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर हो जाएगा. महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि का व्रत भी 26 फरवरी को ही किया जाएगा. इसी दिन भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेक भी किया जाएगा
महाशिवरात्रि जलाभिषेक शुभ मुहूर्त-
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाता है. हालांकि इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए जो समय सबसे उपयुक्त है वो सुबह का है. इस दिन सुबह 6 बजकर 48 मिनट से 9 बजकर 41 मिनट तक का समय भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए सबसे उपयुक्त है
इसके बाद, 11 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक भगवान शिव का जलाभिषेक किया जा सकता है. इसके अलावा दोपहर में 3 बजकर 26 मिनट से शाम 6 बजकर 9 मिनट तक का समय और रात्रि में 8 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक पूजा और जलाभिषेक का समय शुभ रहेगा
महाशिवरात्रि जलाभिषेक की विधि-
महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. फिर महादेव का ध्यान लगाना चाहिए.
इसके बाद स्नान करके भगवान सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए.
फिर मंदिर जाकर या घर पर ही दही, दूध, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.
इसके बाद अक्षत, मोली, चंदन, बेलपत्र, सुपारी, पान, फल, फूल और नारियल समेत विशेष चीजें शिवलिंग पर चढ़ानी चाहिए.
महादेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
महादेव को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाना चाहिए.
महादेव के समक्ष घी का दिया जालाना चाहिए.
अंत में महादेव की आरती करनी चाहिए.
इसके बाद प्रसाद वितरित करना चाहिए|
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