धर्म-अध्यात्म

Mahakumbh 2025 अमृत स्नान ,यहां जानें तिथि और महत्व

Tara Tandi
15 Jan 2025 11:18 AM GMT
Mahakumbh 2025 अमृत स्नान ,यहां जानें तिथि और महत्व
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Mahakumbh ज्योतिष न्यूज़: महाकुंभ में तीसरा स्नान 29 जनवरी 2025 को आयोजित होगा। यह दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि मौनी अमावस्या पर स्नान करने से आत्मा को शुद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना केवल शरीर को शुद्ध करने का माध्यम नहीं है, बल्कि आत्मा को भी पवित्रता प्रदान करता है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या का स्नान दिवस अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे अमृत योग दिवस के रूप में भी जाना जाता है। त्रिवेणी संगम में स्नान और दान करने का असर जीवनभर रहता है और व्यक्ति को ईश्वरीय
कृपा प्राप्त होती है।
श्राद्ध कर्म और तर्पण का महत्व
इस दिन पितरों के तर्पण का भी विशेष महत्व है। जो लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म और तर्पण करना चाहते हैं, उनके लिए मौनी अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। संगम के किनारे पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना गया है।
मौनी अमावस्या पर मौन रहना भी एक विशेष आध्यात्मिक प्रक्रिया है। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत का पालन करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौन रहने से आत्मसंयम और ध्यान की शक्ति में वृद्धि होती है, जो जीवन में संतुलन और सकारात्मकता लाता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या का यह दिन केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्लेषण और आत्मशुद्धि का भी अवसर है। इस दिन संगम में स्नान, दान और पूजा-पाठ करने वाले लोग आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति करते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करती है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी संरक्षित करती है।
महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं। यह अवसर लोगों को धर्म, आस्था और समर्पण की भावना से जोड़ता है। मौनी अमावस्या का स्नान और इसका महत्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अनमोल हिस्सा है।
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