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धर्म-अध्यात्म
Maa Dhumavati Jayanti: कर्ज और शत्रुओं को देनी है मात तो धूमावती जयंती पर करें ये काम
HARRY
27 May 2023 6:12 PM GMT
यह पहली ऐसी देवी हैं, जिन्हें देेवी का विधवा स्वरूप भी इसी रूप से माना जाता है और
Maa Dhumavati Jayanti: मां धूमावती को 10 महाविद्याओं में अंतिम विद्या माना जाता है और हमारे शास्त्रों में इसे देवी पार्वती के स्वरूप की संज्ञा दी गई है। यह पहली ऐसी देवी हैं, जिन्हें देेवी का विधवा स्वरूप भी इसी रूप से माना जाता है और हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस दिन सामूहिक व्रत, अनुष्ठान और धूमावती देवी स्रोत, पाठ व विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। ऐसी मान्यता भी हैै कि इस दिन सुहागन महिलाएं मां धूमावती का पूजन करने की बजाय अगर दूर से ही देवी के दर्शन करती हैं तो उन्हें जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती।
मां धूमावती को 10 महाविद्याओं में अंतिम विद्या माना जाता है और हमारे शास्त्रों में इसे देवी पार्वती के स्वरूप की संज्ञा दी गई है। यह पहली ऐसी देवी हैं, जिन्हें देवी का विधवा स्वरूप भी इसी रूप से माना जाता है और हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस दिन सामूहिक व्रत, अनुष्ठान और धूमावती देवी स्रोत, पाठ व विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं मां धूमावती का पूजन करने की बजाय अगर दूर से ही देवी के दर्शन करती हैं तो उन्हें जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती।
इस बार रविवार, 28 मई को दुर्गा अष्टमी व मां धूमावती जयंती है। ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन काले वस्त्र में काले तिल बांधकर मां धूमावती को चढ़ाने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और अगर पूरे विधि-विधान के साथ देवी के इस स्वरूप की पूजा की जाए तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और दुख-दारिद्रय दूर होते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर जल पुष्प, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, सिंदूर व नैवेद्य आदि से मां का पूजन करें तो जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती और धूमावती कवच शत्रु भय तथा कर्ज से भी मुक्ति दिलाता है।
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