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जिस तरह से व्यक्ति के आहार-विहार के लिए हमारे धर्मशास्त्रों में एक निश्चित नियम बनाये गए हैं उसी तरह से हमारे धर्मशास्त्रों में सोने के लिए भी नियम बनाए गए हैं
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| जिस तरह से व्यक्ति के आहार-विहार के लिए हमारे धर्मशास्त्रों में एक निश्चित नियम बनाये गए हैं उसी तरह से हमारे धर्मशास्त्रों में सोने के लिए भी नियम बनाए गए हैं. इसके मुताबिक व्यक्ति को कभी दिन के समय नहीं सोना चाहिए क्योंकि दिन में सोने से जहां देवी-देवताओं की नाराजगी झेलनी पड़ती है वहीं दिन में सोने से कई तरह की बीमारियां भी व्यक्ति को घेर लेती हैं. आइए जानते हैं कि किस समय सोने से व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ता है.
शास्त्रों में जहां दिन में सोना वर्जित किया गया है वहीं ज्येष्ठ के महीने में दोपहर के समय एक ऐसा समय भी होता है कि जब सोया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि दिन में सोने से शरीर में रोग की वृद्धि होती है और उम्र भी घटती है. शास्त्रों के मुताबिक दिन में उसी व्यक्ति को सोना चाहिए जो बीमार हो.
आयुर्वेद के भी मुताबिक दिन में सोने से मोटापा जैसी कई बीमारियां होती हैं और तो और दिन में सोने से जुकाम होने का खतरा भी अधिक होता है.
ब्रह्मवैवर्तपुराण में भी ऐसा कहा गया है कि दिन में, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने वाला व्यक्ति रोगी और दरिद्र हो जाता है.
धर्म शास्त्रों के मुताबिक सुबह बहुत अधिक देर तक सोने वालों से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं जिससे ऐसे व्यक्ति कभी भी संतुष्ट नहीं रहते हैं. सुबह अधिक देर तक सोने वाले व्यक्ति हमेशा मानसिक तनाव का भी सामना करते हैं.
शास्त्रों के मुताबिक व्यक्ति को सूर्यास्त के 3 घंटे बाद ही सोना चाहिए.
सूर्यास्त के समय भी कभी नहीं सोना चाहिए क्योंकि सूर्यास्त का समय देवी-देवताओं के पूजन का समय होता है. ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त में सोने वालों को किसी कार्य में जल्दी सफलता नहीं मिलती है.
शास्त्रों के मुताबिक पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति यदि दिन में सोता है तो उसे धन से सम्बंधित और पेट के पाचन से सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं.
Triveni
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