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गुड़ी पड़वा हिंदी महीने चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नये साल की शुरूआत मानी जाती है।
गुड़ी पड़वा हिंदी महीने चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नये साल की शुरूआत मानी जाती है। इसी दिन कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि में उगादी मनाया जाता है। लोग इस दिन को काफी शुभ मानते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया था और सतयुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन मीठे पकवान बनाकर पूजा की जाती है। इन सभी बातों के अलावा भी गुड़ी पड़वा से जुड़ी कई जानकारियां हैं, आइए बताते हैं....
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1. गुड़ी पड़वा को मराठी लोग नए साल की शुरुआत मानते हैं। इस दिन लोग नई फसल की पूजा करते हैं।
2. गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की विशेष साफ-सफाई करने के बाद घरों में रंगोली बनाते हैं। आम के पत्तों से बंदनवार बनाकर सभी घरों के आगे लगाते हैं। महिलाएं घरों के बाहर सुदंर और आकर्षक गुड़ी लगाती हैं।
3. गुड़ी पड़वा के मौके पर खासतौर पर पूरन पोली नामक पकवान बनता है। यानि मीठी रोटी, इसे गुड और नीम, नमक, इमली के साथ बनाया जाता है।
4. ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर में लाने से बुरी आत्मा दूर रहती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
5. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन रावण को हराने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे थे।
6. विक्रम संवत हिंदू पंचांग के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था।
7. वीर मराठा छत्रपति शिवाजी जी ने युद्ध जीतने के बाद पहली बार गुड़ी पड़वा को मनाया था। इसी के बाद हर साल मराठी लोग इस परंपरा का अनुसरण करते हैं।
8. अधिकतर लोग इस दिन कड़वे नीम की पत्तियों को खाकर दिन की शुरूआत करते हैं। कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा पर ऐसा करने से खून साफ होता है और शरीर मजबूत बनता है।
9. इस दिन को विभिन्न राज्यों में उगादी, युगादी, छेती चांद आदि अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस दिन को मणिपुर में भी मनाया जाता है।
10. इस दिन सोना, वाहन या मकान की खरीद या किसी काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।
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