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बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न पुखराज को पहनने के कई फायदे हैं। जैसे पुखराज धारण करने वाले को प्रसिद्धि मिलती है। शिक्षा, नौकरी और करियर में उन्नति होती है। भाग्य में वृद्धि होती है। पितृदोष शांत रहता है और जातक दीर्घायु बनता है। लेकिन यदि इसे पहनने के नियम नहीं जाने तो यह नुकसान भी दे सकता है।
1. बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न पांच रंगों में पाया जाता है- हल्दी रंग में, केशर/केशरिया, नीबू के छिलके के रंग का, स्वर्ण के रंग का तथा सफेद-पीली झांई वाला। चौबीस घंटे तक दूध में रखने पर यदि क्षीणता एवं फीकापन न आए तो असली होता है। चिकना, चमकदार, पानीदार, पारदर्शी एवं व्यवस्थित किनारे वाला पुखराज दोषरहित होता है। इसे ही धारण करना चाहिए। दोष वाला पुखराज धारण न करें।
2. पुखराज धारण करने का सबसे अच्छा वार गुरुवार, नक्षत्र पुष्य नक्षत्र, तिथियों में दूज, एकादशी और द्वादशी तिथि है। सुबह के समय शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए।
3. लाल किताब के अनुसार धनु लग्न में यदि गुरु लग्न में है तो पुखराज या सोना केवल गले में ही धारण करना चाहिए, हाथों में नहीं। यदि हाथों में पहनेंगे तो ये ग्रह कुंडली के तीसरे घर में स्थापित हो जाएगा।
4. यदि गुरु चौथे, सातवें या दसवें भाव में है तो पुखराज को धारण करने के लिए लाल किताब के विशेषज्ञ से सलाह लें।
5. गुरु ग्रह के निर्बल होने पर पुखराज धारण करने से उसके शक्तिशाली होने से ऋणात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है।
6. ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म पत्रिका नहीं दिखाई है और मन से ही पुखराज धारण किया है तो नुकसान भी पहुंचा सकता है।
7. वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि वालों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
8. बृहस्पति या गुरु की राशि धनु और मीन राशि वालों के लिए पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले लोग यदि पुखराज पहनते हैं तो संतान, विद्या, धन और यश में सफलता मिलती है।
9. पुखराज के साथ पन्ना व हीरा न पहनें; हो सके तो अकेला ही पहनें।
10. 2/7/10 लग्न वाले पुखराज न पहनें। गुरुवार को जन्मे तथा जिनकी कुंडली में कर्क राशि पर सूर्य-चंद्र-गुरु हो अवश्य पहनें।
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Apurva Srivastav
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