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गायत्री महामंत्र का अर्थ / Gayatri Mantra in Hindi
ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
गायत्री महामंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या- इस मंत्र के पहले 9 शब्द ईश्वर के दिव्य गुणों की व्याख्या करते हैं।
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाले
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाले
स्वः = सुख़ प्रदान करने वाले
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाले
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के* *योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दे
अर्थात- प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
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Apurva Srivastav
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