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जानिए शिव तांडव स्तोत्र के फायदे और पाठ करने की विधि...

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। यही वजह है कि वे देवाधिदेव महादेव कहलाते हैं। वे कालों के भी काल महाकाल हैं। इनकी कृपा से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है। भगवान शिव को मनुष्य तो क्या देवी-देवता, सुर-असुर, सभी पूजते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण भी महादेव का बड़ा भक्त था। रावण ने ही तांडव स्तोत्र की रचना की है। इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोक से भगवान शिव की स्तुति गाई है। शिव पुराण के अनुसार, एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया। इसके बाद शिव जी ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा गाई गई, यही स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। तो चलिए जानते हैं शिव तांडव स्तोत्र के फायदे और पाठ करने की विधि...
