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अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- किसी भी प्रकार का शोक न होना। यह जहां पर उचित दिशा
कई लोगों के घर के सामने लंबे लंबे अशोक के पेड़ लगे होते हैं जो घर की शोभा बढ़ाते हैं। अशोक का वृक्ष दो प्रकार के होते हैं एक जो पीपल के वृक्ष की तरह फैलता है और दूसरा जो ताड़ या देवदार के वृक्ष की तरह ऊंचा जाता है, और उसके पत्ते नीचे लटके हुए होते हैं। लंबा वृक्ष देवदार की जाति का है और इसके पत्ते आम के पत्तों जैसे होते हैं। इसके फूल सफेद, पीले रंग के और फल लाल रंग के होते हैं। जानें इसी वक्ष के बारे में।
1. अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- किसी भी प्रकार का शोक न होना। यह जहां पर उचित दिशा में लगा होता है वहां किसी भी प्रकार का शोक नहीं होता है।
2. मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में आम के पत्तों की तरह ही अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। अशोक वृक्ष को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र और लाभकारी माना गया है।
3. माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है।
4. अशोक का वृक्ष वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है। यह रसायन और उत्तेजक है। इसके उपयोग से चर्म रोग भी दूर होता है। महिलाओं के लिए इसके रस से दवाई भी बनती है।
5. अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है।
6. घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है एवं अकाल मृत्यु नहीं होती है।
Apurva Srivastav
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