धर्म-अध्यात्म

जानिए पूर्णिमा व्रत रखने के फायदे

Tara Tandi
13 Jun 2022 10:15 AM GMT
जानिए पूर्णिमा व्रत रखने के फायदे
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हर माह में एक बार पूर्णिमा ​तिथि आती है. पूर्णिमा शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन होता है, इसके बाद कृष्ण पक्ष शुरू हो जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर माह में एक बार पूर्णिमा ​तिथि आती है. पूर्णिमा शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन होता है, इसके बाद कृष्ण पक्ष शुरू हो जाता है. शास्त्रों में पूर्णिमा के व्रत (Purnima Vrat) का विशेष महत्व माना गया है. पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण के अलावा चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि पूर्णिमा व्रत आपको मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला होता है. वहीं ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की बात करें तो इस तिथि का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है क्यों​कि इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट पूर्णिमा का व्रत रखती हैं. वट पूर्णिमा का व्रत वट अमावस्या के समान पुण्यदायी माना गया है. इसे भी वट सावित्री व्रत कहा जाता है. 14 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पड़ रही है. यहां जानिए पूर्णिमा व्रत से मिलने वाले लाभ, व्रत विधि और अन्य जरूरी जानकारी.

पूर्णिमा व्रत रखने से मिलते ये फायदे
– जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है, या चंद्रमा दूषित है, उनके लिए पूर्णिमा का व्रत काफी पुण्यदायी माना गया है. पूर्णिमा का व्रत चंद्र को मजबूत करता है और इसके दोषों को समाप्त करता है.
– जो लोग मानसिक रूप से परेशान होते हैं, तनाव में रहते हैं, जल्दी निर्णय नहीं ले पाते हैं और जिन्हें बहुत ज्यादा डर लगता है, उन्हें पूर्णिमा का व्रत रखना चाहिए. इस व्रत से मानसिक परेशानियां दूर होती हैं.
– वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी पूर्णिमा का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना गया है. ये व्रत जीवन से पारिवारिक कलह को दूर करता है और सुखी जीवन प्रदान करता है.
पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि
अगर आप पूर्णिमा का व्रत रखने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस व्रत को किसी भी पूर्णिमा से शुरू कर सकते हैं. पूर्णिमा का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर जल में गंगा जल मिक्स करके स्नान करें. भगवान के समक्ष इस व्रत को रखने का संकल्प लें और नारायण और लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. उन्हें, रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, खीर, पंचामृत, धूप, दीप, वस्त्र आदि अर्पित करें. पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़ें या सुनें. दिन भर व्रत रखें. आप चाहें तो फलाहार लेकर व्रत रख सकते हैं. शाम को चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन करें और अर्घ्य दें. इसके बाद व्रत का पारण करें.
शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 13 जून रात 09:02 पर होगी और समापन 14 जून दिन मंगलवार को शाम 05:21 मिनट पर होगा. पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय 07:29 पर है.
चंद्रमा को दें अर्घ्य
पूर्णिमा का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खोला जाता है. इस दिन आप जल में दूध, शक्कर, अक्षत और फूल मिलाकर चंद्रदेव को अर्पित करें. इसके बाद व्रत का पारण करें.
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