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रत्न विज्ञान में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है, जिसमें नीलम को सबसे प्रभावी और तुरंत असर देने वाला रत्न बताया गया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रत्न विज्ञान में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है, जिसमें नीलम को सबसे प्रभावी और तुरंत असर देने वाला रत्न बताया गया है। वहीं नीलम रत्न का संबंध आयु प्रदाता दाता शनि देव से हैं। नीलम रत्न मेंं इंसान को अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचाने की क्षमता होती है। लेकिन नीलम रत्न बाजार में काफी महंगा आता है। इसलिए नीलम का उपरत्न भी नीलम की तरह ही काम करता है और अच्छे रिजल्ट देता है। जिसका नाम है नीली। इसे बाजार में नीलिया और लीलिया नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कैसा होता है नीलिया और इसको धारण करने के फायदे…
ऐसी होती है नीली:
रत्न शास्त्र अनुसार नीली नीलम का उपरत्न है। यह हल्के नीले रंग का चमकीला रत्न है जिसमें थोड़ी सी रक्तिम ललाई भी पायी जाती हैं। वहीं आमतौर पर लीलिया गंगा यमुना और अन्य नदियों के रेतीले किनारों पर मिल जाता है। इसे भी नीलम की तरह ज्योतिषी द्वारा सुझाई गई रत्ती के मुताबिक धारण किया जाए तो यह तरक्की के रास्ते खोल सकता है और भाग्योदय कर सकता है।
इन राशि वालों को करती है सूट:
ज्योतिष शास्त्र अनुसार वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के लोग नीलम पहन सकते हैं। अगर शनि देव केंद्र के स्वामी हैं तो भी नीली धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर शनि देव सकारात्मक (उच्च) के जन्मकुंडली में स्थित हैं, तो भी नीली धारण कर सकते हैं।
लेकिन वो राशियां जिनकी शनिदेव से शत्रुता है, उन्हें लीलिया धारण करने से मना किया जाता है। जैसे मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह राशि वालों को नीली धारण करने से बचना चाहिए। कभी भी कुंडली में मंगल और शनि की युति बन रही हो तो नीली धारण नहीं करनी चाहिए वरना नुकसान हो सकता है।
इस विधि से करें धारण:
नीली उपरत्न को शनिवार के दिन धारण करना चाहिए। नीलम की तरह नीली को भी दाएं या बाएं हाथ की मध्यमा (बीच वाली उंगली) अंगुली में पंचधातु या चांदी में धारण किया जाना चाहिए। साथ ही नीली धारण करने के बाद शनि से संबंधित दान जैसे- काला कपड़ा, चाकू, काली दाल, गुलाब जामुन मिठाई, काले अंगूर, काले तिल किसी ब्राह्मण को चरण स्पर्श करके देकर आने चाहिए।
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