धर्म-अध्यात्म

नवरत्न की अंगूठी धारण करते समय, रखें खास ध्यान

Tara Tandi
26 Jan 2021 7:26 AM GMT
नवरत्न की अंगूठी धारण करते समय, रखें खास ध्यान
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कुछ लोग फैशन के तौर पर नवरत्न की अंगूठी भी पहनते हैं।

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | कुछ लोग फैशन के तौर पर नवरत्न की अंगूठी भी पहनते हैं। यदि आप ज्योतिषीय उपायों के लिए नवरत्न की अंगूठी, पेंडेंट या ब्रेसलेट पहन रहे हैं तो आपके लिए कुछ नियम जान लेना अत्यंत आवश्यक होगा। मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ में इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैं.

वज्रं शुक्रेब्जे सुमुक्ता प्रवालं भौमेगो गोमेदमार्को सुनीलम्।

केतौ वैदरूय गुरौ पुष्पकं ज्ञे पाचि: प्राड्माणिक्यमर्के तु मध्ये।।

1. कोशिश करें कि नवरत्न को सोने में ही जड़वाएं। सोने में बनवाने की क्षमता न हो तो चांदी में या चांदी में भी जड़वाने की क्षमता न हो तो अष्टधातु में नवरत्नों को जड़वाया जा सकता है। 2. धातु का चयन कर लेने के बाद नवरत्नों के क्रम का विशेष ध्यान रखना होता है।

3. अंगूठी या पेंडेंट में रत्न जड़ने के स्थान पर रत्नों के लिए 9 कोष्ठों का सुंदर कोणों वाला चतुरस्त्र या अष्टदल कमल आदि के आकार का किसी बुद्धिमान शिल्पकला में निपुण स्वर्णकार से बनवाना चाहिए।

4. शुक्र की प्रसन्नता के लिए पूर्वी भाग में हीरा, चंद्र के लिए आग्नेय कोण में मोती, मंगल के लिए दक्षिण में मूंगा, राहु के लिए नैऋत्य में गोमेद जड़वाएं।

5. शनि के लिए पश्चिम में सुंदर नीलम, केतु की प्रसन्नता के लिए वायव्य में वैदूर्य, गुरु के लिए उत्तर में पुखराज जड़वाएं।

6. बुध के लिए ईशान में पन्ना और सूर्य के लिए मध्य में माणिक्य जड़वाएं। इसके बाद रत्नों की प्राणप्रतिष्ठा करके धारण करना चाहिए।

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