धर्म-अध्यात्म

Kavad Yatra: कांवड़ियों को रखना होता है इन नियमों का ध्यान

Kanchan
2 July 2024 5:23 AM GMT
Kavad Yatra: कांवड़ियों को रखना होता है इन नियमों का ध्यान
x

Kavad Yatraकावड़ यात्रा: शिव भक्तों को सावन माह का सबसे बड़ा इंतजार रहता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार Accordingसावन पंचांग का पांचवा महीना होता है। यह पूरा महीना मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। सावन में आने की जाने वाली कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में जानिए कांवड़ यात्रा से जुड़े जरूरी नियम। कावड़ यात्रा शिव के भक्तों की एक तीर्थ यात्रा है। कांवड़ लाने वाले भक्तों को कांवड़ियों के रूप में जाना जाता है। यह एक कठिन यात्रा होती है, क्योंकि यह पूरी यात्रा पैदल की जाती है। हर साल लाखों कांवड़ियां हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर सावन शिवरात्रि पर अपने क्षेत्र के शिवालयों में शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सावन माह के साथ ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत होती है। इस तरह इस साल सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई 2024, सोमवार के दिन से हो रही है।

ऐसे में कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी इसी दिन से होगी, जिसका समापन 02 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि पर होगा। सावन माह की शुरुआत होते ही भक्त अपने-अपने स्थान उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री आदि स्थानों से गंगा नदी के पवित्र जल से करेंगे। को उजागर करने के लिए निकल पढ़े हैं। इसके बाद शिव भक्त गंगातट से कलश में गंगाजल भरते हैं और अपनी कांवड़ से बांधकर अपनी मंजिल पर लटकाते हैं। इसके बाद अपने क्षेत्र के शिवालय में लाकर इस गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। शास्त्रों में माना गया है कि सर्वप्रथम भगवान परशुराम ने कांवड़ यात्रा शुरू की थी। यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विकMoral भोजन ही करना चाहिए।

साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार के नशे, मांस-मदिरा या तामसिक भोजन आदि से दूर रहना चाहिए। इस बात का भी खास ख्याल रखा जाता है कि यात्रा के दौरान कांवड़ को जमीन पर न रखा जाए। ऐसा होने पर कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है। इस तरह कांवड़िए को फिर से कांवड़ में पवित्र जल भरना होता है। कांवड़ यात्रा पूरी तरह पैदल की जाती है, इसके लिए किसी भी तरह के वाहन का प्रयोग नहीं किया जाता है। कावड़ को हमेशा स्नान करने के बाद ही स्पर्श किया जाता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि यात्रा के समय कांवड़िया से चमड़ा स्पर्श नहीं होना चाहिए और न ही कांवड़ को किसी के ऊपर से ले जाना चाहिए। साथ ही भोलेनाथ की कृपा के लिए कांवड़ यात्रा में हर समय शिव जी के नाम का उच्चारण करना चाहिए।

Next Story