धर्म-अध्यात्म

इस तरह करें रविवार के दिन भगवान भास्कर की भक्ति

Subhi
10 Jun 2022 3:45 AM GMT
इस तरह करें रविवार के दिन भगवान भास्कर की भक्ति
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भगवान भास्कर को पालन हार कहा जाता है क्योंकि ऊर्जा का एकमात्र सूर्य देव हैं। उनकी कृपा तीनो लोक पर बनी रहती है। ऐसे में अगर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के साथ साथ तरक्की चाहते हैं

भगवान भास्कर को पालन हार कहा जाता है क्योंकि ऊर्जा का एकमात्र सूर्य देव हैं। उनकी कृपा तीनो लोक पर बनी रहती है। ऐसे में अगर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के साथ साथ तरक्की चाहते हैं तो भगवान भास्कर की सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से भक्ति करें। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होकर व्यक्ति विशेष की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि भगवान भास्कर की पूजा कैसे और किस दिन करें।

रविवार के दिन भगवान की पूजा विशेष फलदायी होता है

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि रविवार के दिन भगवान भास्कर की विशेष पूजा की जाती है। रविवार का दिन भगवान् भास्कर अर्थात सूर्य देव को समर्पित है। ऐसे में रविवार के दिन भगवान की पूजा विशेष फलदायी होता है। आइए जानते हैं कि कैसे रविवार के दिन भगवान की पूजा करें।

पूजा विधि

पुराणों में रविवार के दिन रवि व्रत करने का उल्लेख है। इस व्रत को करने से न केवल सुख, शांति और समृद्धि आती है बल्कि वंश में भी वृद्धि होती है। खासकर, महिलाएं इस व्रत को अपने सौभाग्य के लिए करती है। इसके अतिरिक्त इस दिन नियमित तौर पर भी पूजा कर भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में उठें

इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान ध्यान से निवृत होकर सर्वप्रथम पूजा संकल्प लें। इसके बाद आमचन कर अपने को शुद्ध कर भगवान भास्कर को जल अर्पित करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण जरूर करें।

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें।

ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।

इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।"

जथा शक्ति तथा भक्ति

इसके पश्चात पीला वस्त्र धारण कर भगवान भगवान भास्कर की फल, धुप-दीप, दूर्वा आदि से करें।फिर आरती अर्चना कर भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। आप चाहें तो जथा शक्ति तथा भक्ति अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं एवं दान दें।



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