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धर्म-अध्यात्म
सुबह - सुबह हथेलियों के दर्शन का महत्व. जानिए क्या हैं
Apurva Srivastav
23 Dec 2021 3:42 PM GMT
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सुबह के समय को बहुत शक्तिशाली माना जाता है. इस समय में हमेशा वो काम करने चाहिए जिनसे आपको सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो सके. माना जाता है
शास्त्रों में सुबह के समय हथेलियों के दर्शन करने की बात कही गई है. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल सकता है. जानिए आखिर क्या है सुबह सुबह हथेलियों के दर्शन का महत्व.
सुबह के समय को बहुत शक्तिशाली माना जाता है. इस समय में हमेशा वो काम करने चाहिए जिनसे आपको सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो सके. माना जाता है कि सुबह की शुरुआत अगर आपने सकारात्मक ऊर्जा के साथ कर ली, तो आपका सारा दिन सार्थक हो जाता है. इसके बाद आप दिन में जो भी काम करते हैं, वो पूरी एनर्जी के साथ करते हैं और आपको सफलता प्राप्त होती है.
इस सकारात्मकता को बरकरार रखने और मन में नई आशा और उत्साह को जगाने के लिए हमारे ऋषि मुनियों ने सुबह के समय अपनी हथेलियों के दर्शन करने की सलाह दी है. ज्योतिष में हथेली में बनी लकीरों को किस्मत से जोड़कर देखा जाता है. माना जाता है कि अगर आंख खुलते ही सबसे पहले अपनी हथेलियों को देखा जाए, तो इससे व्यक्ति का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल सकता है. जानिए इस मान्यता के पीछे का महत्व.
ये है धार्मिक मान्यता
शास्त्रों में कहा गया है कि ' कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम' इसका अर्थ है कि मेरे हाथों के आगे वाले हिस्से में धन की देवी माता लक्ष्मी निवास करती हैं, मध्य में बुद्धि प्रदाता मां सरस्वती का वास है और मूल में गोविंद यानी भगवान विष्णु रहते हैं और सुबह सुबह इनके दर्शन करने चाहिए. मां सरस्वती को बुद्धि की देवी माना जाता है और माता लक्ष्मी को धन की देवी और विष्णु भगवान तो जगत के पालनहार हैं, ऐसे में सुबह सुबह जिस व्यक्ति ने इनका ध्यान कर लिया, उसे इन तीनों का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है. ऐसे व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि, बुद्धि कौशल, यश आदि किसी चीज की कमी नहीं रहती.
हथेलियों में माना गया है तीर्थों का भी स्थान
दोनों हाथों की हथेलियों में तीर्थों का भी स्थान माना गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि हमारे हाथों की चारों उंगलियों के सबसे आगे के भाग में 'देवतीर्थ' हैं. तर्जनी के मूल भाग में 'पितृतीर्थ', कनिष्ठा के मूल भाग में 'प्रजापतितीर्थ' और अंगूठे के मूल भाग में 'ब्रह्मतीर्थ' माना जाता है. दाएं हाथ के बीच में 'अग्नितीर्थ' और बाएं हाथ के बीच में 'सोमतीर्थ' और उंगलियों के सभी पोरों और संधियों में 'ऋषितीर्थ' है. इस तरह प्रतिदिन जब सुबह उठकर हम अपनी हथेलियों के दर्शन करते हैं तो हमें भगवान के साथ इन तीर्थों के भी दर्शन हो जाते हैं. ऐसे में हमारे जीवन में सब कुछ शुभ ही शुभ होता है.
हस्त दर्शन से मिलती कर्म पर यकीन रखने की सीख
वहीं अगर व्यवहारिक दृष्टि से देखा जाए तो हम कोई भी कर्म अपने हाथों से करते हैं. सुबह सुबह हथेलियों के दर्शन करने का अर्थ है कि व्यक्ति को कर्म पर विश्वास करना चाहिए. अपने कर्मों को बेहतर करके वो स्वयं ही अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकता है. इसके अलावा हाथों में तीर्थ और भगवान का वास होने से तात्पर्य है कि व्यक्ति को जीवन में कभी कोई अनुचित कर्म नहीं करना चाहिए. अपने हाथों से हमेशा प्रभु को नमन करें और इनका प्रयोग अच्छे कार्यों के लिए करें. हमेशा दूसरों का भला करें, लेकिन कभी स्वयं किसी अन्य पर आश्रित न रहें.
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