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तुलसी की माला पहन रहें है तो पहले जान लें ये नियम
हिंदू धर्म में तुलसी का काफी महत्व है। इसे पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी में मां लक्ष्मी का वास होता है। मान्यता है कि जब मां लक्ष्मी ने धरती में राधा रानी के रूप में जन्म लिया था तब तुलसी का नाम वृंदा था जो कि राक्षस जालंधर की पत्नी थी। जिसका वध भगवान विष्णु और भगवान ने मिलकर किया था। इस पर सती वृंदा ने दुखी और क्रोधित होकर भगवान विष्णु को शाप दे दिया कि वह धरती पर शालिग्राम यानि शीला के रूप में रहें। इस पर मां लक्ष्मी ने वृंदा ने विनती की उसके पति को शाप मुक्त कर दें। उनकी विनती सुनकर देवी वृंदा ने सती होने से पूर्व भगवान विष्णु को अपने पास रहने की शर्त पर अपने शाम मुक्त कर दिया। जैसे ही देवी वृंदा सती हुई वैसे से उनकी राख से एक पौधे उत्पन्न हुआ जिसे ब्रह्मा जी ने इसे तुलसी नाम दिया। यही पौधा सती वृंदा का पूजनीय स्वरूप हो गया। भगवान विष्णु ने देवी तुलसी को भी वरदान दिया कि वह सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली माता कहलाएंगी और वर्ष में एक बार शालिग्राम और तुलसी का विवाह भी होगा। इसी कारण भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय है।तुलसी दल के महत्व के बारे में आपने खूब सुना होगा। लेकिन इसकी लकड़ी भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। माना जाता है कि तुलसी की लकड़ी से बनी माला पहनने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। यह धार्मिक से साथ-साथ सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। तुलसी की माला पहनने से शुक्र और बुध ग्रह मजबूत होता है। इसके साथ ही मन शांत रहता है। जानिए वास्तु के मुताबिक तुलसी की माला पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान।