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जब त्रयोदशी तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है. कहा जाता है कि सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ भक्तों पर बहुत प्रसन्न होते हैं और भोलेनाथ उन पर अपार कृपा करते हैं. इतना ही नहीं सोम प्रदोष व्रत कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को भी मजबूत करता है. अप्रैल के महीने में ऐसा संयोग बन रहा है कि इस महीने में दो सोम प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. इस वजह से अप्रैल का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है.
सोम प्रदोष पूजा का समय
3 अप्रैल शाम 5.55 बजे से शाम 7.30 बजे तक
जबकि अप्रैल में दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को रखा जाएगा. इस दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी. इस दिन त्रयोदशी तिथि दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और प्रदोष व्रत की पूजा शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक की जा सकती है.
सोम प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से कुछ समय पहले भोलेनाथ की पूजा शुरू की जाती है. इस दिन सुबह विधि-विधान से पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. संध्या पूजन से पूर्व एक बार फिर स्नान कर ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद सुगंध, पुष्प, धूप-दीप, बेलपत्र, अक्षत और गंगाजल आदि से महादेव की पूजा करें. पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए.
पूजा के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र और भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात. मंत्र का जाप करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विधि से भोलेनाथ की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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Apurva Srivastav
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