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- हकीकत या फसाना: बुद्ध...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एक बार की बात है गौतम बुद्ध से एक व्यक्ति ने कहा कि मैं ईश्वर को नहीं मानता, आपकी क्या राय है? बुद्ध बोले तुम गलत हो, संसार में ईश्वर के अलावा कुछ और सत्य है ही नहीं। कुछ दिन बाद दूसरे व्यक्ति ने प्रश्र किया, प्रभु ईश्वर में मेरी बड़ी श्रद्धा है। क्या मैं सही हूं? बुद्ध बोले ईश्वर के होने वाली बात असत्य है, इसलिए उसे मानने का प्रश्र ही नहीं उठता। यह सुनकर बुद्ध का प्रिय शिष्य आनंद सोच में पड़ गया कि आखिर बुद्ध कहना क्या चाहते हैं ?
इस बीच एक शिष्य ने तथागत से पूछा सही-सही बताइए, ईश्वर है या नहीं? बुद्ध ने उसके प्रश्न को अनसुना कर दूसरे विष्य पर अपनी बात जारी रखी।
शिष्य कुछ देर तक उत्तर की प्रतीक्षा करता रहा। किन्तु तथागत से उत्तर न मिलने पर अंत में वह चला गया। आनंद ने तथागत से पूछा कि देव कभी आप कहते हैं कि ईश्वर है तो कभी कहते हैं कि ईश्वर नहीं है। और अभी-अभी मेरे इस मित्र ने वास्तविकता जाननी चाही तो आपने उत्तर ही नहीं दिया।