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धर्म-अध्यात्म
किन कलाओं और गुणों के कारण दुनियाभर में पूजे जाते हैं भगवान श्रीकृष्ण
SANTOSI TANDI
7 Sep 2023 9:49 AM GMT
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भगवान श्रीकृष्ण
आज पूरे देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. कान्हा के जन्मोत्सव को मनाने के लिए पूरे देश भर के मंदिरों को फूलों से सजाया गया है. सनातन परंपरा में भगवान श्री कृष्ण को भगवान श्री विष्णु का पूर्णावतार माना गया है, जो 16 कलाओं से युक्त थे. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अब तक के सभी अवतारी शक्तियों में सबसे ज्यादा कलाओं या फिर गुणों को अपने भीतर समाहित करने वाले थे. हिंदू मान्यता के अनुसार कान्हा के भीतर विद्यमान 16 कलाओं के साथ कई ऐसे गुण थे, जिनको यदि कोई अपना ले तो उसे जीवन के सभी सांसरिक सुख और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो सकती है.
भगवान कृष्ण की 16 कलाओं के नाम
भगवान श्रीकृष्ण जिन 16 कलाओं में पारंगत थे, उनमे श्री, भू, कीर्ति, इला, लीला, कांति, मेधा, विद्या, विमल, उत्कर्षिनी, ज्ञान, क्रिया, योग, प्रहवि, सत्य, इसना और अनुग्रह शामिल हैं. मान्यता है कि अपने इन्हीं कलाओं के कारण भगवान श्रीकृष्ण पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुए। हालांकि इन कलाओं के अलावा उनके भीतर कई ऐसे गुण शामिल हैं, जिनको अपनाने पर इंसान का जीवन सफल हो जाता है.
1. सच्चा मित्र
भगवान श्रीकृष्ण के समान अब तक कोई सच्चा मित्र नहीं हुआ। बचपन से लेकर बड़े होने तक वे सिर्फ और सिर्फ अपने मित्रों की मदद करते हुए नजर आते हैं. बचपन में वे मक्कखन अपने लिए कम मित्रों के लिए ज्यादा चुराते थे. भगवान श्रीकृष्ण न सिर्फ अपने मित्र सुदामा के तारणहार बनते हैं बल्कि द्रौपदी की लाज भी बचाते है. भगवान कृष्ण अपने मित्रों को हर कठिन परिस्थिति से उबारते हैं.
2. सादगी और सरलता
भगवान श्रीकृष्ण का पूरा जीवन प्रेम और सादगी से भरा ही रहा. गोकुल, वृंदावन या फिर द्वारका जहां कहीं भी वे रहे वे बहुत सादगी के साथ रहे. उन्हें कभी भी अपने ईश्वरीय अवतार होने या फिर अपनी शक्तियों का जरा भी अभिमान नहीं रहा और न ही कभी उन्होंने उसका दुरुपयोग किया. कान्हा के इस गुण को आधुनिक जीवन में अपनाने की बहुत जरूरत है, ताकि सुख-सुविधा को भोगते हुए भी दिखावे से दूर रहें और हमारे भीतर किसी भी प्रकार का अभिमान न आने पाए।
3. शांत स्वभाव
भगवान श्रीकृष्ण के अवतार से हमें कठिन से कठिन परिस्थिति में अपने मन को शांत रखने की सीख मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण अपने पूरे जीवन में उन तमाम परिस्थितियों में शांत रहते हैं, जब उनका अपमान हो रहा होता है. फिर चाहे वह दुर्योधन के द्वारा किया गया हो या शिशुपाल के द्वारा हुआ हो. भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि क्रोध करने से सबसे पहले हमारा ही नुकसान होता है.
4. कर्म ही सबसे बड़ी पूजा
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन के माध्यम से सिखाया है कि इस संसार में कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है और कोई भी कर्म छोटा या बड़ा नहीं होता है. यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन का सारथी होना स्वीकार किया.
5. सही दिशा दिखाना
भगवान श्रीकृष्ण अपने पूरे जीवनकाल में घटी घटनाओं के माध्यम से हमें सही दिशा दिखाने का प्रयास किया है. महाभारत के युद्ध के दौरान उनके द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज पूरे विश्व को सही दिशा दिखा रहा है. ऐसे में हमें न सिर्फ उनकी दी हुई शिक्षा पर अमल करते हुए जीवन की सही दिशा पर चलना चाहिए बल्कि दूसरों को भी सही दिशा दिखाने का प्रयास करना चाहिए।
SANTOSI TANDI
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