धर्म-अध्यात्म

Sawan Pradosh पर करें ये एक काम, सफल होगी पूजा

Tara Tandi
1 Aug 2024 7:12 AM GMT
Sawan Pradosh पर करें ये एक काम, सफल होगी पूजा
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Sawan Pradosh ज्योतिष न्यूज़: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना जाता है जो कि शिव की साधना आराधना को समर्पित दिन है इस दिन भक्त भोलेबाबा की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं प्रदोष व्रत हर माह में दो बार पड़ता है पंचांग के अनुसार अभी सावन का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाला प्रदोष व्रत बेहद ही खास है जो कि आज यानी 1 अगस्त दिन
गुरुवार को मनाया जा रहा है
आज का प्रदोष व्रत सावन का पहला प्रदोष व्रत है और गुरुवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष के नाम से जाना जा रहा है इस दिन महादेव की पूजा अर्चना के बाद अगर शिव पार्वती की आरती श्रद्धा भाव से की जाए तो भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं साथ ही पूजा पाठ का पुण्य फल भक्तों को प्राप्त होता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव पार्वती जी की आरती।
शिव जी की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता
सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
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