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देवशयनी एकादशी कल, योग निद्रा में चले जाएंगे भगवान श्रीहरि, ज्योतिषाचार्य से जानें व्रत का महत्व और फल
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी बेहद खास है। देवशयनी एकादशी पर इस साल तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। इस शुभ घड़ी में जहां भगवान विष्णु की योग निद्रा शुरू होगी, वहीं शिव के हाथ सृष्टि के संचालन का जिम्मा होता है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ हो रहा है। इस दिन के बाद से चार माह तक सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से विश्राम करने के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं।
देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को है। इस दिन तीन शुभ योग बन रहे है। रवि, शुभ व शुक्ल योग में भगवान विष्णु योग निद्रा में जाएंगे। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा व प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि देवशयन हो गए हैं। इस चार महीने साधुओं का भ्रमण भी बंद हो जाता है और वह एक जगह पर रुककर प्रभु की साधना करते हैं।
चार नवंबर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
देवशयनी एकादशी पर 10 जुलाई से गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्यक्रम रुक जाएंगे। ठीक चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन 4 नवंबर को भगवान विष्णु शयन निद्रा से उठते हैं। मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
व्रत से होता है पापों का नाश
मान्यता है कि देवशयनी एकादशी व्रत करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। मनुष्य की सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। मन शुद्ध होता है और विकार दूर हो जाते हैं। दुर्घटनाओं के योग भी टल जाते हैं। देवशयनी एकादशी व्रत करने के बाद शरीर और मन नवीन हो जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. संतोष शुक्ल ने बताया कि देवशयनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास का आरंभ हो रहा है। यह चार माह योगियों के लिए शुभ माना गया है। इस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इस साल देवशयनी एकादशी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। इस एकादशी का व्रत मंगलकारी होता है। इस व्रत के करने से याचक के सभी पापों का नाश हो जाता है।