धर्म-अध्यात्म

Devshayani एकादशी पूजा, भक्तों की सारी मनोकामनाएं होंगी पूरी

Tara Tandi
17 July 2024 9:25 AM GMT
Devshayani  एकादशी पूजा, भक्तों की सारी मनोकामनाएं होंगी पूरी
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Devshayani एकादशी ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन एकादशी व्रत को विशेष माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ती है यह तिथि भगवान विष्णु की साधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारी परेशानियां दूर हो जाती है
पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ माह चल रहा है और इस माह की आखिरी एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि इस बार 17 जुलाई दिन बुधवार यानी आज मनाई जा रही है इसी दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं जिसके बाद सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है ये चार महीने पूजा पाठ और तप जप के लिए विशेष होते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करके एकादशी माता की आरती जरूर पढ़ें मान्यता है कि ऐसा करने से पूजा पूर्ण होती है और भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं।
एकादशी माता की आरती
ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।।
ओम जय एकादशी माता।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।
पौष के कृष्ण पक्ष की, सफला नामक है,
शुक्ल पक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।
परमा कृष्ण पक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।
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