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धर्म-अध्यात्म
आज ही लाएं महालक्ष्मी यंत्र घर, सबसे पहले जानिए सही दिशा और इसके फायदे
Bhumika Sahu
21 Jun 2022 3:34 PM GMT
![आज ही लाएं महालक्ष्मी यंत्र घर, सबसे पहले जानिए सही दिशा और इसके फायदे आज ही लाएं महालक्ष्मी यंत्र घर, सबसे पहले जानिए सही दिशा और इसके फायदे](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/06/21/1714737-5.gif)
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यंत्र को सही दिशा और शुभ मुहूर्त में लगाया जाए।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र मे ग्रहों को शांत और भगवान को प्रसन्न करने के तीन तरीके बताए हैं, जो हैं तंत्र, मंत्र और यंत्र। यहां हम बात करने जा रहे हैंं। महालक्ष्मी यंत्र के बारे में, जिसका संबंध मां लक्ष्मी से है। इस यंत्र को घर या अपने प्रतिष्ठान में लगाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा बनी रहती है। बस इस यंत्र को सही दिशा और शुभ मुहूर्त में लगाया जाए। आइए जानते हैं इस यंत्र के बारे में…
महालक्ष्मी यंत्र और लाभ:
ज्योतिष अनुसार श्वेत हाथियों के द्वारा स्वर्ण कलश से स्नान करती हूई कमल पर विराजमान देवी महालक्ष्मी के पूजन से धन- समद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं अगर आपके पास पैसा टिक नहीं पा रहा है या फिर किसी न किसी कारण धन की समस्या बनी रहती है तो इसके लिए आप अपने घर या ऑफिस में महालक्ष्मी यंत्र की स्थापित कर सकते हैं।
इस जगह स्थापित करें महालक्ष्मी यंत्र:
ज्योतिष अनुसार ऑफिस या प्रतिष्ठान पर महालक्ष्मी यंत्र को पैसे रखने वाली जगह पर रखें और रोज इसको धूप-अगरबत्ती दिखाएं। इस यंत्र को धनदाता या श्रीदाता भी कहा जाता है। इस यंत्र को आप बुधवार के दिन सुबह स्थापित कर सकते हैं। क्योंकि बुधवार के दिन का संबंध कुबेर जी से माना जाता है और कुबेर जी मां लक्ष्मी के भाई माने जाते हैं।
जानिए क्या है महत्व:
इस यंत्र से जुड़ी एक पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार लक्ष्मी जी पृथ्वी से बैकुंठ धाम चली गई थीं। जिससे पूरी पृथ्वी पर घोर संकट आ गया। तब महर्षि वशिष्ठ ने महालक्ष्मी की धरती पर वापसी के लिए और प्राणियों के कल्याण के लिए श्री महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित किया और इस यंत्र की विधि विधान साधना की। ऐसा माना जाता है कि इस यंत्र की साधना से लक्ष्मी जी पृथ्वी पर प्रकट हो गईं। बता दें कि जब किसी मंत्र को कोई आकार दिया जाता है तो वह यंत्र कहलाता है।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार इस यंत्र की स्थापना किसी भी दिन नहीं की जाती है। इसकी स्थापना किसी बेहद ही शुभ मुहूर्त, दीपावली, धनतेरस, अभिजीत मुहूर्त या रविपुष्य योग, बुधवार के दिन ही करनी चाहिए। जिससे यह यंत्र पूरी तरह से फल प्रदान करता है।
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