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कैसी भी थकान हो या कैसी भी बीमारी हो, पर्याप्त नींद इन समस्याओं का सबसे अच्छा उपाय है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है प्रतिदिन पर्याप्त नींद ली जाए। यदि नींद पूरी नहीं हो पाती है तो ये आलस्य को बढ़ाती है और कई बीमारियों का न्यौता देती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार गलत दिशा में सोने से आप नींद न आने के साथ ही अन्य कई समस्याओं से भी ग्रस्त हो सकतें हैं। हमें अच्छे से नींद के लाभ मिल सके इसके लिए शास्त्रों में कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन पर व्यक्ति को आरामदायक नींद आती है। आइये जानते हैं सोने के कुछ उचित तरीकों के बारे में।
* दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने के फायदे :
दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना बेहतर माना गया है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक तौर पर पैर उत्तर दिशा में रहेगा। शास्त्रों के साथ-साथ प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सेहत के लिहाज से इस तरह सोने का निर्देश दिया गया है। यह मान्यता भी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।
* सिर उत्तर तथा पांव दक्षिण :
ज़मीन पर रखने पर हमेशा उसका सिर उत्तर तथा पांव दक्षिण की ओर रखे जाते हैं। क्योंकि मरने के बाद उसकी रुह को यमलोक की ओर रवाना होना होता है। इसके अलावा व्यक्ति के मरने के बाद उसकी फोटो को भी घर की उस दीवार पर लटकाया जाता है जो दक्षिण दिशा में बनी हो।
* पूर्व में सिर :
पूर्व दिशा में सिर करके सोना स्मृति, एकाग्रता, अच्छे स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव बढ़ाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार छात्रों को स्मृति में वृद्धि, मस्तिष्क की अवधारण शक्ति और एकाग्रता बढ़ाने के लिए पूर्व दिशा में अपना सिर करके सोना चाहिए।
* दक्षिण की ओर पैर :
दक्षिण की ओर पैर करके सोने पर चुम्बकीय धारा पैरों से प्रवेश करेगी है और सिर तक पहुंचेगी। इस चुंबकीय ऊर्जा से मानसिक तनाव बढ़ता है और सवेरे जगने पर मन भारी-भारी रहता है।
* दक्षिण-पश्चिम में सिर :
दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र वास्तु विज्ञान में सबसे शक्तिशाली चतुर्भुज है क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है जहां सकारात्मक ऊर्जा संग्रहित है। इस दिशा में सोना भी अच्छा माना जाता है।
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