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धर्म-अध्यात्म
चाणक्य नीति के अनुसार जब तक कार्य सफल न हो तब तक किसी से चर्चा न करें
Apurva Srivastav
14 Jun 2023 2:54 PM GMT
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कभी भी विचार को मुख से नहीं निकालना चाहिए। मंत्र की तरह गुप्त रखकर उसकी रक्षा करनी चाहिए और काम भी गुप्त रखकर ही करना चाहिए।
उपरोक्त श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कार्य सिद्धि का रहस्य बता रहे हैं। वह कहते हैं कि ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें करने का विचार आपके मन में है, तो उसे अपने मन में रहने दें। जैसे गुरु द्वारा दिया गया मंत्र किसी के सामने बोला नहीं जाता है, प्रकट नहीं होता है। इसी प्रकार मन में विचार किये हुए कार्य को मंत्र की तरह गुप्त रखना चाहिए और उसे भी गुप्त रूप से करना चाहिए।
इसका मतलब यह है कि काम के चलते ही उसका प्रचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर काम पूरा नहीं हुआ और आपने उसका प्रचार-प्रसार किया तो काम अधूरा रहने या असफल होने पर लोग उसका उपहास उड़ा सकते हैं।
बहुत से लोगों के मन में घृणा की भावना होती है। ऐसे में अगर उन्हें आपके काम की उपलब्धि का पता चल गया तो हो सकता है कि वो काम बिगाड़ दें या किसी और से आपका काम बिगाड़ दें। यह भी शास्त्रीय नियम है कि जिस कार्य को मन लगाकर और गुप्त रूप से किया जाता है उसमें सफलता आसानी से मिल जाती है।
लोगों को पहले से बता देने से कार्य सिद्धि में बाधा आ सकती है और कार्य होने के बाद लोगों को पता लग ही जाता है, इसलिए गुप्त रूप से अपना कार्य पूर्ण करना ही श्रेयस्कर है।
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Apurva Srivastav
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