धर्म-अध्यात्म

10 दिसंबर का दिन मकर, कुंभ, मीन, कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण, यह उपाय आपको शनि की साढ़ेसाती से राहत दिलाने में मदद करेगा

Renuka Sahu
8 Dec 2023 5:27 AM GMT
10 दिसंबर का दिन मकर, कुंभ, मीन, कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण, यह उपाय आपको शनि की साढ़ेसाती से राहत दिलाने में मदद करेगा
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भगवान शंकर और माता पार्वती की कृपा से मनुष्य को सभी प्रकार के सुखों का अनुभव होता है। वर्तमान में मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और वृश्चिक और कर्क राशि पर शनि की ढैय्या है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या होने पर व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए प्रदोष व्रत के दिन लिंगाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत में प्रदोष काल में पूजा का बहुत महत्व है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 10 दिसंबर, रविवार को है। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। लिंगाष्टकम् स्तोत्र का जाप करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। और पढ़ें लिंगाष्टकम् स्तोत्र-

लिंगाष्टकम स्तोत्र
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥1॥

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥2॥

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥3॥

कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥4॥

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥5॥

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥6॥

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥7॥

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥8॥

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लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

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