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महंगाई की मार : सब्जियों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी देखने को मिली, टमाटर 80 तो 400 रु/किलोग्राम बिक रही है ब्रोकली

Janta se Rishta
30 Aug 2020 3:40 AM GMT
महंगाई की मार : सब्जियों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी देखने को मिली, टमाटर 80 तो 400 रु/किलोग्राम बिक रही है ब्रोकली
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क|लॉकडाउन के बाद अनलॉक (Unlock) के दौरान सब्जियों के दामों (Vegitable Price) में बेतहाशा बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. COVID-19 का असर सबसे ज्यादा सब्ज़ियों की कीमतों पर ही पड़ता दिख रहा है. सब्जियों के बढ़ते दाम से घर का बजट बिगड़ गया है. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) सहित देश के कई हिस्सों में जो सब्जियां 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम बिकते थे, उन्हीं सब्जियों के दाम अब 100 रुपये के पार हो गए हैं. ब्रोकली (Broccoli) जैसी सब्जियां तो 400 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा दामों में बिक रही हैं. सब्जियों के बढ़ते दाम से सभी वर्गों के लोग परेशान हैं. दिल्ली की मंडियों में टमाटर 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम तो आलू 40 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहे हैं. गाजीपुर मंडी में धनिया 200 रुपये प्रति किलोग्राम और लहसुन 150 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है. वहीं मिर्च 100 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है. बैंगन, भिंडी और प्याज के दामों भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है.

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सब्जियों के दाम क्यों आसमान छू रहे हैं?
बता दें कि निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार अपनी आमदनी के मुताबिक रसोई का बजट तय करते हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद से ही सब्जियों के दामों में लगातार तेजी आ रही है. हर सप्ताह सब्जियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे लोगों के घर का बजट बिगड़ रहा है. मार्च से लेकर जुलाई के शुरुआत तक सब्जियों के दाम सामान्य थे, लेकिन जुलाई के दूसरे सप्ताह से सब्जियों के दामों में तेजी आनी शुरू हो गई है, जो अभी तक जारी है.

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निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार अपनी आमदनी के मुताबिक रसोई का बजट तय करते हैं.

कीमतों ने इस तरह बिगाड़ा बजट


गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर 6 की रहने वाली एक महिला पिंकी कहती हैं, 'मैं पांच लोगों के लिए सब्जियां खरीदती हूं. लॉकडाउन से पहले या लॉकडाउन के बाद कुछ दिनों तक हर महीने 1500 से 2000 रुपये के बीच सब्जी खरीदते थे तो काम चल जाता था. लेकिन, आज अगर पांच लोगों के लिए सब्जियां खरीदती हूं तो यह बजट 3000 रुपये तक पहुंच जाएगा. सब्जी कोई भी लें तो वह 60 रुपये से कम नहीं मिल रहा है. आलू-प्याज भी 40 पार है. बैगन, मूली, परवल, तोरी पहले की तुलना में काफी महंगा हो गया है. अब हमलोग एक सप्ताह में दो-तीन दिन साग-दाल खा कर काम चलाने का सोच रही हूं.'

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आजादपुर सब्जी मंडी के अध्यक्ष ने क्या कहा
वहीं, एशिया की सबसे बड़ी आजादपुर सब्जी मंडी के अध्यक्ष और ट्रेडर राजेंद्र शर्मा कहते हैं, 'देखिए किसानों के नजरिए से देखें तो अभी स्थिति काफी अच्छी है. देश में जैसे-जैसे अनलॉक के तहत छूट मिल रहे हैं सब्जियां मंडी में आना शुरू हो गई हैं. दिल्ली में साप्तहिक बाजार खुलने से सब्जी विक्रेताओं को फायदा होना शुरू हो गया है. रही सब्जी के दाम आसमान छूने की तो मैं सरकार से कहना चहता हूं कि आप रेट मत फिक्स करें पर एक नॉर्मल रेट तय कर दें. अगर उससे ऊपर रेट जाता है तो आप कह सकते हैं रेट आसमान छू रहा है.'

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शर्मा आगे कहते हैं, 'जब देश में सब्जियां सस्ती बिकती हैं तो वह स्टोरी नहीं होती, लेकिन जब थोड़ी रेट बढ़ जाती है तो हाय-तौबा मचना शुरू हो जाता है. अगर प्याज 12-14 रुपये बिकते हैं तो सोचिए किसान को क्या मिलता होगा? जबकि सरकार कहती है कि किसान को डबल मुनाफा मिले. बताइए इस रेट में किसान को मुनाफा डबल मिलेगा? लोग सब्जी कम खरीद रहे हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं. बरसात के समय में अक्सर मंडियों में सब्जियों की सप्लाई कम हो जाती है. इससे सब्जियों की कीमतें एक दम से बढ़ जाती हैं, लेकिन सितंबर से लेकर मार्च तक स्थिति सामान्य रहती है. यह कोई नई बात नहीं है 10 सितंबर से सब्जियां सस्ती होनी शुरू हो जाएंगी.'

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