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कोरोना मरीजों के लिए खून के थक्के जमना क्यों बन रहे मुसीबत, एक्सपर्ट्स ने कही ये बात
Apurva Srivastav
7 May 2021 6:31 PM GMT
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खतरनाक तरीके से खून का थक्का (Blood Clot) भी जम सकता है
कोरोना वायरस (Coronavirus) महज फेफड़े की बीमारी नहीं है, जैसा कि पहले की अवधारणा थी. बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का (Blood Clot) भी जम सकता है, जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होगी. ताकि कुछ मामलों में अंगों को बचाया जा सके. यह बात विशेषज्ञों ने कही है.
'ब्ल्ड सेल्स से भी जुड़ा है संक्रमण'
वैश्विक स्तर पर किए गए शोध में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 14 से 28 फीसदी मरीजों में खून का थक्का जमने की बात सामने आई है, जिसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) के नाम से जाना जाता है. वहीं दो से पांच फीसदी रोगियों में आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस का मामला सामने आया. विशेषज्ञों ने बताया कि संक्रमण फेफड़े के साथ ब्लड सेल्स से भी जुड़ा हुआ है.
'शुगर पेशेंट को ज्यादा हो रही परेशानी'
दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) के एंजियोग्राफी सर्जन डॉ. अंबरीश सात्विक (Ambarish Satwik) ने कहा, 'हम औसतन हर हफ्ते इस तरह के पांच-छह मामलों को देख रहे हैं. इस हफ्ते प्रतिदिन इस तरह का एक मामला सामने आ रहा है.' वहीं दक्षिण पश्चिम द्वारका के आकाश हेल्थकेयर में हृदय विभाग के डॉ. अमरीश कुमार ने कहा, 'कोविड-19 के ऐसे रोगियों में रक्त थक्का जमने का मामला आ रहा है, जिनमें टाइप-टू डायबिटीज मिलेटस है, हालांकि निश्चित कारण अभी तक पता नहीं चला है.'
डॉक्टर ने ट्विटर पर पोस्ट की थी तस्वीर
गौरतलब है कि DVT एक गंभीर स्थिति है, जिसमें शरीर के अंदर स्थित नाड़ियों में खून का थक्का जम जाता है. आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस धमनियों में थक्का जमने से जुड़ा हुआ है. सात्विक ने इस हफ्ते की शुरुआत में ट्वीट कर कोविड-19 का खून का थक्का बनने से संबंध की तरफ ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें उन्होंने कोविड-19 से पीड़ित एक रोगी के अंग की धमनी में बने खून के थक्के की तस्वीर पोस्ट की थी.
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