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इन बलों में आत्महत्या के केस भी बढ़ रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों की मांगों के लिए अब अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन की नौबत आ गई है। 'कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन' ने कहा है, सीएपीएफ जवानों की मांगों को लेकर अनेकों बार केंद्र सरकार तक बात पहुंचाई गई है। विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों और दूसरे अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन इन बलों की मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हुई। एसोसिएशन ने अब निर्णय लिया है कि 31 अक्तूबर तक इन बलों की मांगों पर कोई आदेश जारी हुआ तो 14 फरवरी 2024 को जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र के माध्यम से अग्रिम सूचना दे दी गई है।
एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि यह निर्णय 22 मई को ग्वालियर में सम्पन्न हुए एक्स पैरामिलिट्री जवानों के सेमिनार में लिया गया है। इसमें 22 राज्यों की वेलफेयर एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। कॉन्फेडरेशन के चेयरमैन एवं सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने यह प्रस्ताव पेश किया था कि केंद्र सरकार, 31 अक्टूबर तक अर्धसैनिक बलों के जवानों की पुरानी पेंशन बहाली, ओआरओपी, अर्धसैनिक झंडा दिवस कोष का गठन, राज्यों में अर्धसैनिक कल्याण बोर्डों की स्थापना, सीपीसी कैंटीन पर जीएसटी में छूट और एक्स मैन व शहीद का दर्जा, आदि मांगें पूरा नहीं करती है तो 14 फरवरी को जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा। खास बात है कि इस धरना प्रदर्शन में जवानों के परिजन भी शामिल होंगे। एचआर सिंह ने कहा, पिछले आठ वर्षों से एसोसिएशन द्वारा सीएपीएफ जवानों की मांग के लिए संघर्ष किया जा रहा है। तीन सितम्बर 2021 को राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें 1 लाख 10 हजार से अधिक हस्ताक्षर युक्त पेटिशन सौंपी गई, मगर नतीजा शून्य रहा।
महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, केंद्र सरकार को अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड के गठन व अर्धसैनिक झंडा दिवस कोष स्थापित करने में दिक्कत कहां आ रही है। इसमें तो किसी बड़े बजट की जरूरत नहीं है। पैरामिलिट्री फ्लैग डे फंड का गठन करने में तो कोई समस्या नहीं है। पूर्व आईजी बीएसएफ गजेन्द्र चौधरी ने कहा, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 11 जनवरी 2023 को सुनाए गए पैरामिलिट्री पुरानी पेंशन बहाली के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ 6 मार्च को केंद्र सरकार द्वारा आठ सप्ताह का समय मांगा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। 2004 में जब पैरामिलिट्री जवानों के बुढ़ापे की लाठी छीनी गई तो किसी भी बल का डीजी विरोध में नहीं आया। पुरानी पेंशन बहाली, आने वाले चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगा। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटका का उदाहरण हमारे सामने है। इन राज्यों में पेंशन बहाली का मुद्दा, सशक्त एवं निर्णायक भूमिका में उभरा है।
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