शिमला। प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था अब ट्रैफिक वालंटिर्य संभालेंगे। पुलिस मुख्यालय शिमला से गुरुवार को डीजीपी संजय कुंडू ने यातायात स्वयंसेवक योजना (ट्रैफिक वालंटियर स्कीम) का शुभारंभ किया है। ट्रैफिक वालंटियर स्कीम के बारे में प्रदेश के सभी जिलों पुलिस अधीक्षकों को निर्देश व एसओपी जारी कर दी गई है। डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि यातायात स्वयंसेवक योजना उद्देश्य राज्य में यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना है। यातायात के बेहतर प्रबंधन, सडक़ सुरक्षा और जन जागरूकता के लिए ट्रैफिक वालंटियर्स नामक एक स्वैच्छिक बल का गठन किया जाना है, जो सुव्यवस्थित वाहन यातायात प्रवाह के लिए सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाकर, सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि और यातायात संबंधी निगरानी करके सामुदायिक पुलिसिंग की अवधारणा को क्रियान्वित करेगा। ट्रैफिक वालंटियर्स को जिला एसएसपी द्वारा रिफ्लेक्टिव सुरक्षा जैकेट, टोपी और आईडी कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पर प्रमुखता से ट्रैफिक वालंटियर लिखा होगा, ताकि आम जनता को उनकी पहचान ट्रैफिक पुलिस से अलग दिखे। पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है और हर साल राज्य में आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या राज्य की जनसंख्या से दो गुना से भी अधिक है। पिछले कुछ दशकों में हिमाचल प्रदेश का सडक़ नेटवर्क कई गुना बढ़ गया है।
वाहनों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है। बेहतर राजमार्गों और उन्नत ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के साथ दुर्भाग्य से सडक़ दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। समुदाय यातायात पुलिस का समर्थन कर सकता है और विभिन्न तरीकों से सडक़ उपयोगकर्ताओं को सुविधा प्रदान कर सकता है, जिसमें खतरनाक स्थानों और गतिविधियों के बारे में स्थानीय ज्ञान साझा करना, पैदल यात्रियों की सहायता करने और यातायात को विनियमित करने के लिए यातायात स्वयंसेवकों के रूप में काम करना और सडक़ को अधिक प्राथमिकता देने के लिए अभियान चलाना शामिल है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है। प्रदेश यातायात स्वयंसेवक योजना के तहत राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु के स्वैच्छिक लोगों का एक समूह होगा, जो सेवा की भावना से यातायात प्रबंधन और जागरूकता में भाग लेंगे और विभिन्न यातायात कार्यों को स्वेच्छा से नि:शुल्क करने में योगदान देंगे। ट्रैफिक वालंटिर्य के लिए आवेदक की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। आवेदक के पास यातायात को नियंत्रित करने और यात्रियों को जागरूक करने की शारीरिक और मानसिक क्षमता होनी चाहिए। यातायात संबंधी नियमों का पालन करना चाहिए। उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं होना चाहिए। अंग्रेजी या हिंदी भाषा और ट्रैफिक सिग्नल का अच्छा ज्ञान हो।