रिवालसर। उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों के बाद जिंदगी की जंग जीतकर मंडी जिले के बल्ह क्षेत्र के डहणू गांव का 20 वर्षीय विशाल शुक्रवार को अपने पिता के साथ सकुशल घर पहुंच गया। घर पहुंचने पर परिजनों के साथ रिश्तेदारों व ग्रामीणों ने बैंड-बाजे व फूलमालाओं के साथ विशाल का स्वागत किया। मां उर्मिला ने अपने लाल की आरती उतारी और गले लगाने के दौरान उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े, वहीं दादी व चाची ने फूलमाला पहनाकर अपने लाडले को अपनी पलकों पर बिठाया। विशाल के पिता धर्म सिंह ने बताया अस्पताल प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य जांच के बाद विशाल को वीरवार को छुट्टी दे दी गई थी। उन्होंने सभी 41 श्रमिकों के सकुशल रैस्क्यू के लिए उत्तराखंड व केंद्र सरकार का धन्यवाद किया। उत्तराखंड सरकार ने विशाल को गाड़ी करके हिमाचल के प्रवेश द्वार पांवटा साहिब तक पहुंचाया और वहां से घर तक लाने के लिए डीसी मंडी की ओर से टैक्सी की व्यवस्था की गई।
विशाल की मां उर्मिला देवी ने बताया कि भगवान, कुल देवता बाढूबाडा व देव कमरूनाग की कृपा से विशाल जिंदगी की जंग जीत कर मौत के मुंह से वापस आया है। विशाल के लिए मांगी मन्नत पूरी होने पर स्वजन अब देव बाढूबाडा को घर बुलाकर धाम का आयोजन करेंगे। विशाल ने टनल में बिताए 17 दिनों के अनुभव को सांझा करते हुए बताया कि हम सभी के लिए यह बड़ी कठिन घड़ी थी। टनल के अंदर समय गुजारना मुश्किल हो रहा था लेकिन देशवासियों की दुआएं व रैस्क्यू टीमों की कड़ी मेहनत रंग लाई, जिनकी बदौलत हम सभी सकुशल बाहर निकल पाए। विशाल ने बताया कि वह स्थानीय स्तर पर नौकरी की तलाश करेगा और अगर नहीं मिली तो फिर से खतरों के बीच काम करना मजबूरी होगी। उधर, विशाल की दादी व माता-पिता ने साफ कहा है कि वे विशाल को दोबारा इस कार्य के लिए नहीं भेजेंगे। विशाल ने कहा कि जब वह टनल में फंसा था तो इस दौरान उनके साथ अन्य राज्यों के मजदूरों से वहां की सरकार के मंत्रियों के फोन आ रहे थे लेकिन हिमाचल सरकार के किसी मंत्री ने उसकी हौसला अफजाई व हाल जानने के लिए कोई फोन नहीं किया।