ग्लोबल वार्मिंग से बेमौसम हो रही बारिश, लोग ही नहीं किसान भी हैं परेशान
बक्सर न्यूज़: मौसम में बदलाव के साथ लोग बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. सरकारी अस्पताल के आउटडोर से लेकर निजी क्लिनिकों में मरीजों की भीड़ बढ़ने लगी है. पिछले एक सप्ताह पहले तापमान 42 डिग्री सेल्सियस होने के कारण लोगों को भीषण गर्मी व लू का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद मौसम में आए परिवर्तन से तापमान में काफी गिरावट आई है. जिले का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. साथ ही, कई इलाकों में पूरे दिन ठंडी हवाओं के साथ हल्की बारिश भी हुई. जिससे रात में लोगों को ठंड का अहसास भी हुआ. स्थानीय निवासी शंभूनाथ ओझा ने बताया कि ठंडी हवाएं और दिनभर बादलों के उमड़ने-घुमड़ने से गर्मी में बरसात जैसा अहसास हो रहा है. इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है. ग्लोबल वार्मिंग और बेमौसम बारिश से बीमारियों में वृद्धि हुई है. जलवायु परिवर्तन से नई बीमारियों ने पांव पसारे हैं. नतीजतन, डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों में वृद्धि देखी जा रही है. बीमार बच्चों की संख्या में साल दर साल वृद्धि हो रही है. इस मौसम में नवजात शिशुओं में डायरिया होने का खतरा बना रहता है. सदर अस्पताल के प्रभारी सीएस डॉ. भूपेन्द्रनाथ ने बताया कि मौसम में बदलाव से अस्पतालों में दिन-प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है. अस्पताल में ही प्रतिदिन 900 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. अधिकांश मरीज बुखार, सर्दी-खांसी, जुकाम, उल्टी-दस्त, गले में खरास, दर्द तथा पेट दर्द के आ रहे है. वहीं, जिनको पहले कोविड हो चुका है या दमा व एलर्जी है. ऐसे मरीजों में हांफ और सांस फूलने जैसी बीमारी बढ़ी है.
जय दीपक वर्मा और चंदन सिंह ने बताया कि बैक्टिरिया से होने वाली बीमारियां मौसम सापेक्ष होती हैं. पहले इंसेफ्लाइटिस के मरीज जुलाई से सितंबर के दौरान आते थे. लेकिन, अब पूरे साल इसके मरीज दिखते है. अनुमंडल अस्पताल डुमरांव के डीएस डॉ. गिरीश कुमार सिंह ने बताया कि बैक्टिरिया फैलने के कारणों में जलवायु परिवर्तन भी एक कारक है. पिछले कुछ दशकों से वायरल फीवर के मरीजों की संख्या बढ़ी है. बैक्टिरिया मौसम के हिसाब से सक्रिय होते हैं. गर्मी से सर्दी या बरसात आने पर इनका प्रकोप बढ़ जाता है. ऋतु परिवर्तन असामान्य होने से वायरल फीवर के मरीजों में वृद्धि हो रही है