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पालमपुर। सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा तैयार ट्यूलिप गार्डन इस साल के लिए अब बंद हो गया है। ट्यूलिप के फूल कुछ समय के लिए ही खिलते हैं। देश-विदेश में पहचान बना चुके पालमपुर स्थित आईएचबीटी संस्थान के ट्यूलिप गार्डन को इस साल दो फरवरी से दर्शकों के लिए खोला गया था। फूलों के प्राकृतिक रूप से मुरझाने के उपरांत ट्यूलिप गार्डन को बंद किया गया है और अब लोगों को आने वाले समय का इंतजार करना होगा। कश्मीर के बाद देश का दूसरा और प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन कुछ वर्ष पूर्व पालमपुर में हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में स्थापित किया गया था। इसमें ट्यूलिप्स की विभिन्न प्रजातियों को लगाए गए हैं। बीते वर्षों के दौरान देश-विदेश से लाखों सैलानी पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन देखने पहुंचे हैं। जानकारी के अनुसार इस साल 96 हजार से अधिक सैलानी आईचीबटी संस्थान में टयूलिप गार्डन को देखने के लिए पहुंचे।
बीते साल यहां आने वाले लोगों का आंकड़ा 70 हजार के करीब रहा था। बीते साल के मुकाबले इस वर्ष करीब 26 हजार अधिक लोग यसहां पहुंचे। साथ ही एक उपलब्धि यह रही कि गौर रहे कि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति को अर्पित करने के लिए ट्यूलिप के फूल यहां से भेजे गए थे। पालमपुर स्थित आईएचबीटी संस्थान केंद्र सरकार और सीएसआईआर द्वारा 2021 को शुरू किए गए फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत फूलोत्पादन को प्रोत्साहित कर रहा है। इससे अधिक से अधिक किसानों को जोड़ कर उनकी आय दोगुना करने की योजना पर काम किया जा रहा है। गौर रहे कि हालैंड ट्यूलिप के फलों की सबसे अधिक पैदावार करने वाला देश है और हालैंड में तैयार किए जा रहे बल्ब ही बाकि देशों द्वारा आयात किए जाते हैं। भारत में भी हालैंड से ही ट्यूलिप के बल्ब मंगवाए जाते हैं, लेकिन अब आईएचबीटी के वैज्ञानिकों के प्रयासों ने देश में फूलों की खेती की जाने लगी है। कश्मीर के बाद देश का दूसरा और प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन इस साल भी लोगों के आकर्षन का केंद्र बना रहा।
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