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Gaggeret. गगरेट। उपमंडल गगरेट के कुठेड़ा जसवालां गांव में एक घर पर खतरा बनकर मंडरा रहे आम के पेड़ को काटने की अपील तब तक सरकारी दफ्तरों में ही घूमती रही जब तक आम का पेड़ घर पर नहीं गिर गया। इस दुर्घटना में घर के सदस्य तो बाल-बाल बच गए थे लेकिन घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। ऐसा ही मामला अब ग्राम पंचायत अंबोटा में देखने को मिल रहा है। यहां एक घर पर खतरा बनकर मंडरा रहे तीन आम के पेड़ों को काटने के लिए घर के मालिक ने प्रार्थना-पत्र तो दिया है लेकिन भी तक इन पेड़ों को काटने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। बरसात के मौसम में अगर ये पेड़ धराशाई हुए तो घर के साथ-साथ घर के सदस्यों को भी न ले बैठें इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन यहां भी अभी तक इन पेड़ों को काटने के लिए प्रार्थना-पत्र दफ्तरों में ही बाबू जी की टेबल की शान बना हुआ है।
हाल ही में दिल दहला देने वाली घटना में कुठेड़ा जसवालां गांव में एक आम का पेड़ साथ लगते घर के सदस्यों का काल बनते हुए बाल-बाल बचा। उस मामले में भी प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोली थी तो अब ऐसा ही मामला अंबोटा गांव में देखने को मिल रहा है। गगरेट-दौलतपुर चौक मुख्य सडक़ मार्ग पर अंबोटा गांव में बाबा नाग नाथ मंदिर के समीप सुभाष चंद के घर व साथ लगती दुकानों के लिए तीन आम के पेड़ खतरे की घंटी बजाते हुए प्रतीत हो रहे हैं। एक पेड़ तो सूख चुका है जबकि उसके साथ का एक पेड़ गिर भी चुका है। सुभाष चंद ने इन्हें समय रहते काट लेने के लिए एक प्रार्थना-पत्र वन विभाग के अधिकारियों को सौंपा है। चि_ी पहुंचने के बाद संबंधित बीट गार्ड भी मौका देख गया है लेकिन अभी तक इन्हें काटने के लिए अनुमति नहीं दी गई है। अगर समय रहते न काटे गए तो किसी बड़ी दुर्घटना को न्यौता दे सकते हैं। सुभाष चंद की माली हालत भी ठीक नहीं कि एक बार मकान टूट जाने पर वह दोबारा खड़ा कर ले। सुभाष चंद ने वन विभाग के आला अधिकारियों के साथ उपायुक्त ऊना जतिन लाल से गुहार लगाई है कि उसके लिए डर व दहशत का सबब बन चुके इन आम के पेड़ों को खुद गिरने से पहले ही काटा जाए ताकि वह चैन की सांस ले सके।
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