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Vat Savitri Vrat: इस साल 6 जून को है वट सावित्री व्रत जानिए पूजा की विधि

Rajeshpatel
31 May 2024 7:21 AM GMT
Vat Savitri Vrat: इस साल 6 जून को है वट सावित्री व्रत जानिए पूजा की विधि
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Vat Savitri Vrat: शादी के बाद नई नवेली दुल्हन ऐसे करें वट सावित्री की पूजा, इन बातों का रखें खास ध्यान, जानें पूरी विधि : हर सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि जो भी विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. इस वर्ष 6 जून को वट सावित्री का व्रत है. इस बार नई नवेली दुल्हन जो पहली वार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही हैं, उनके लिए व्रत रखने की विधि जानना बेहद जरूरी है. आपको बता दें कि वट सावित्री व्रत के दिन हर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रख विधि-विधान से पूजा करती हैं. इस साल सुहागिनों का पर्व वट सावित्री व्रत 6 जून 2024 को रखा जाएगा. ऐसे में अगर आप शादी के बाद पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं, तो पूजा से जुड़े इन नियमों का विशेष रूप से पर ध्यान रखें.
वहीं अगर कोई नई नवेली दुल्हन, जो पहली बार इस व्रत को रखने जा रही है, उन्हें सबसे सबसे पहले वट के पेड़ की आवश्यकता होगी. अगर वट वृक्ष आस-पास में नही है, तो कहीं से वट वृक्ष की टहनी घर लाकर स्थापित करना है. फिर दो टोकरियों में पूजा का सामान सजाकर रखना है. इसमें सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, कलावा, बरगद का फल, धूप, दीपक, फूल, मिठाई, रोली, सवा मीटर का कपड़ा, बांस का पंखा, कच्चा सूत, इत्र, पान, सुपारी, नारियल, सिंदूर, अक्षत, सुहाग का सामान, भीगा चना, कलश, मूंगफली के दाने, मखाने का लावा जैसी चीजें शामिल होंगी.
नई दुल्हन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग की साड़ी पहनें. बरगद के पेड़ के नीचे पूजा घर और पूजा स्थल को साफ करें. अशुद्धियों को दूर करने के लिए थोड़ा गंगाजल छिड़कें. अब सप्तधान्य को बांस की टोकरी में भरकर उसमें भगवान ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित करें. दूसरी टोकरी में सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें. इस टोकरी को पहली टोकरी के बाईं ओर रखें. अब इन दोनों टोकरियों को बरगद के पेड़ के नीचे रख दें.
पेड़ पर चावल के आटे की छाप या पीठा लगाना होता है. पूजा के समय बरगद के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाया जाता है और इसके चारों ओर 7 बार पवित्र धागा लपेटा जाता है. इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है. पेड़ के पत्तों की माला बनाकर धारण किया जाता है, फिर वट सावित्री व्रत की कथा सुनकर चने से पकवान बनाया जाता है और सास को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं. एक टोकरी में फल, अनाज, वस्त्र आदि रखे जाते हैं और किसी ब्राह्मण को दान किया जाता है.
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