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Arabic के पत्तों में छुपा है पोषण का भंडार

Shantanu Roy
20 July 2024 12:07 PM GMT
Arabic के पत्तों में छुपा है पोषण का भंडार
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Shimla. शिमला। अरबी के पत्तों से बने पतीड़ हर बरसात में हर रसोई की स्पेशल डिश होती है । गौर रहे कि सर्दियों में अरबी की सब्जी और मक्की की रोटी का हर रसोई में काफी उपयोग किया जाता है। वहीं बरसात में अरबी के पत्ते से बनाए जाने वाले पतीड़ व पकौड़े बहुत की स्वादिष्ट और लजीज होते हैं जिसे देखकर हर व्यक्ति के मुंह मेंं पानी आ जाता है । विशेषकर बरसात के दिनों में शिमला जिला के क्योंथल क्षेत्र में अरबी के पत्तों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार करने में किया जाता है । स्थानीय भाषा में इसे धीधड़े कहा जाता है । जिसे विशेषकर देसी घी अथवा दही से खाए जाते हैं। डगैली अर्थात डगवांस के पर्व पर क्योंथल़ क्षेत्र के अलावा सीमा पर लगते जिला सिरमौर व सोलन क्षेत्र मेंं पतीड़ अथवा
धीधड़े बनाने की विशेष प्रथा है।

जिसे रात्रि को मकान की दहलीज पर पतीड़ रखकर धारधार औजार से काटकर डायनों को अर्पित किया जाता है। ग्राम पीरन के वरिष्ठ नागरिक दयाराम वर्मा, ट्रहाई के प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पतीड़ बनाने की परंपरा कालांतर से चली आ रही है। अतीत में बुआरा अथवा किसी सामूहिक कार्य के दौरान लोगों को अरबी के पत्तों पर भोजन परोसा जाता था। क्योंकि अरबी के पत्ते साइज में काफी बड़े होते हैं। इसके अतिरिक्त अतीत में अनाज का जब काफी अभाव को जाता था तो लोग पतीड़ अथवा धींधड़े बनाकर गुजारा करते थे। आयुर्वेद में अरबी के पत्ते को गुणों की खान माना जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डाक्टर विश्वबंधु जोशी ने बताया कि अरबी के पत्तों को स्थानीय भाषा में लांबू कहा जाता है , जोकि हार्ट के आकार के होते है। अरबी के पत्तों में विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन और फोलेट जैसे अनेक तत्व पाए जाते हैं। गौर रहे कि पतीड़ भी हमारी संस्कृति से जुड़ा एक आहार है जिसका अपना ही महत्त्व माना जाता है। कुल मिलाकर अरबी के पत्तों में छुपा है पोषण का भंडार।
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