सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट की रिपोर्ट है बेहद चिंताजनक: भारत के 244 जिलों में घटा वनीकरण क्षेत्र
रिपोर्ट: देश की 70 फीसद से ज्यादा नदियों के मॉनिटरिंग स्टेशन्स में चिंताजनक आंकड़े दर्ज हुए हैं। जिसमें नदियों के पानी में आयरन व निकल की भारी मात्रा पायी गई है। इसके अलावा 6907 किमी तक फैले भारत के एक तिहाई समुद्री तट मृदा अपर्दन का शिकार हुआ है। इसका कारण 1990 से 2018 के बीच समुद्री जल में बढ़ोत्तरी है। यह जानकारी सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आयी है।
मिट्टी की गुणवत्ता में दर्ज की जा रही गिरावट: रिपोर्ट के अनुसार देश में मिट्टी की गुणवत्ता में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। कृषि क्षेत्र में फसलों की उपज लागत में 2012-13 के मुकाबले 2018-19 तक 35 फीसद की बढ़ोत्तरी देखी गई। फसलों पर निर्भर नागरिकों की कृषि से आय में 2012-13 के मुकाबले 2018-19 में 37 फीसद गिरावट दर्ज की गई है। वहीं देश में 2019 से 2021 के बीच 638 जिलों में से 244 जिलों में वनीकरण क्षेत्र घटा है। 2050 तक जलवायु परिवर्तन के लिए घटता वनीकरण एक हॉट स्पॉट बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2022 में देश ने रिकॉर्ड गर्मी देखी गई।
देश में प्रति वर्ष 3.5 मिलियन टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा हो रहा उत्पन्न: जोकि बीते 10 वर्षों में उच्चतम स्तर पर रही। इसके अलावा देश में 1.7 मिलियन लोगों की मौत अस्वास्थ्यवर्धक भोजन खाने से उपजी बीमारियों से हुई है। वहीं देश में 2019 -20 के दौरान 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ जिसमें 2020-21 में 5 फीसद की बढ़ोत्तरी हो गई। वहीं हमारा इलेक्ट्रिक कचरा भी 32 फीसद से अधिक बढ़ चुका है। लेकिन इसका निस्तारण प्रतिशत बहुत कम है। देश के 17 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए देश ने 295 प्राथमिक इंडीकेटर्स चिन्हित किए हैं। जिसके में केवल 115 की मॉनिटरिंग हो पा रही है।