कर्नाटक karnataka news। कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी श्रीशानंदा ने शनिवार को अपने हालिया बयानों पर खेद व्यक्त किया, जिनसे देशभर में विवाद खड़ा हो गया था। न्यायमूर्ति श्रीशानंदा ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। यह स्पष्टीकरण उन्होंने बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन के सदस्यों की उपस्थिति में अदालत में दिया। पहला विवादास्पद बयान 28 अगस्त को सड़क सुरक्षा पर चर्चा के दौरान आया, जब उन्होंने बेंगलुरु के एक विशेष क्षेत्र को "पाकिस्तान" कहकर संबोधित किया था। दूसरा "आपत्तिजनक बयान" एक महिला अधिवक्ता के संदर्भ में था। दोनों बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। Karnataka High Court
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी ने बताया, "उन्होंने (न्यायमूर्ति वी श्रीशानंदा) ने कहा कि उनका किसी भी समुदाय या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था, और अगर किसी को ठेस पहुंची है, तो उन्हें इसका खेद है।" महिला अधिवक्ता के संबंध में दिए गए बयान पर न्यायमूर्ति श्रीशनंदा ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी अधिवक्ता की नहीं बल्कि उनके मुवक्किल की जानकारी के बारे में थी।
रेड्डी ने आगे बताया, "हमने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह एक अच्छे न्यायाधीश हैं, लेकिन उन्हें ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जो मामले के लिए आवश्यक नहीं हैं।" इससे पहले, एडवोकेट्स एसोसिएशन ने इस विवाद के मद्देनजर लाइवस्ट्रीमिंग पर अस्थायी रोक लगाने और न्यायाधीशों से संवेदनशीलता की मांग की थी। उन्होंने यह भी बताया कि कई यूट्यूब चैनल्स ने "भ्रामक और शरारतपूर्ण टाइटल के साथ" अदालती कार्यवाही की क्लिपिंग चलाईं। न्यायमूर्ति श्रीशानंद ने कथित तौर पर बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को 'पाकिस्तान' कहा था। न्यायाधीश को एक अलग मामले में एक महिला अधिवक्ता के खिलाफ लैंगिक असंवेदनशील टिप्पणी करते हुए भी देखा गया था। 'एक्स' पर कई हैंडल ने अपने पोस्ट में उनकी टिप्पणियों पर आपत्ति जताई।