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Una. ऊना। शहर में यत्र-तत्र पड़ी गंदगी, जगह-जगह नालों में भरा गंदा पानी डेंगू-मलेरिया समेत अन्य बीमारियों को न्योता दे रहा है। बारिश में इसकी संभावना और बढ़ गई है, लेकिन नगर परिषद इसे लेकर गंभीर नहीं है। विडंबना है कि नालियों में मच्छर नाशक दवा भी नहीं डाली जा रही है। शहरवासियों के अनुसार पूरे शहर ऊना में बरसात के मौसम में एक बार भी अच्छे तरीके से दवाई का छिडक़ाव नहीं किया गया है। इस बरसात में सिर्फ एक बार ही दवाई का छिडक़ाव कर नगर परिषद ने अपनी जिम्मेदारियों से पला झाड़ दिया। उसके बाद न तो पानी की निकासी न होने से अवरुद्ध पड़े नालों सड़ रही गंदगी की सफाई करवाने के लिए कोई निरीक्षण किया गया और न नालों की सफाई के लिए कोई कार्रवाई की गई है। बता दें कि शहर ऊना में 11 वार्ड हैं। जहां पर हजारों की संख्या में लोग रहते हैं और बाजारों की कई हजार दुकानों में खरीददारी के लिए उपभोक्ता पहुंचते हैं। इन गंदे नालों व मक्खी-मच्छर के कारण परेशान होते हैं।
मलेरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग गांवों में रोकथाम अभियान जरूर चला रहा है, पर शहर का दायित्व नगर परिषद पर है। इसके बावजूद नगर परिषद कोई पहल नहीं कर रहा है। नालियों में मलबा जाम है और दिन-प्रतिदिन नालों में जमा गंदा पानी सड़ रहा है। जिससे शहर में ऐसे कई नालों में बदबू भी आ रही है, परंतु इस संबंध में न नगर परिषद कोई सख्त कदम उठा रहा है और न जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी इस समस्या को लेकर हरकत में दिख रहे हैं। नालों में जमे पानी में भारी संख्या में मक्खी-मच्छर पनप रहे हैं, जो लोगों के घरों व बाजार की दुकानों में घुस रहा हैं। वार्डों व गलियों में फैली गंदगी से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। नगर परिषद ऊना की अध्यक्ष पुष्पा देवी ने कहा कि शहर के नालों की सफाई व मक्खी-मच्छर नाशक दवाई का छिडक़ाव के कार्य को करने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मामला उनके ध्यान में है। सीएमओ डॉ. संजीव वर्मा ने कहा कि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। इसके लक्षण ठंड लगना, कंपकंपी, पतली दस्त, सिरदर्द आदि हैं। रक्त परीक्षण से वास्तविक कारण का पता लगता है। बारिश मच्छरों के प्रजनन का समय है। बारिश में खतरा रहता है।
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